Saturday, October 10, 2009

चम्पू, चम्पुगीरी और पुरस्कार

चों रे चम्पू!
नेताजी ने अपने प्रिय मुंहलगे से पुछा। अगर ओबामा को नोबेल अवार्ड मिल सकता है तो मुझे क्यों नहीं। एक बरगी तो सुभ सुबह यह सुनकर चम्पू की हवा खिसक गयी, लेकिन तुंरत ही संभलते हुए बोला हां नेताजी आपको भी मिल सकता है।
बस नेताजी सौंप की तरह पलट गए। चम्पू से पूछा, मेरे अंदर ऐसी कौन सी खूबी है, बता।
चम्पू ने कहा, नेताजी सबसे पहली बात तो यह की आपकी चमड़ी भी काली है, अब जब काली चमड़ी वालों को नोबेल अवार्ड मिलने लगा तो आप को भी मिल ही सकता है। नेताजी की समझ में अब तक यह नहीं आया था की नोबेल शान्ति पुरस्कार है क्या?
नेताजी ने चम्पू से पूछा- अरे तू यह बता की शान्ति के लिए नोबेल पुरस्कार कैसे मिलता है?
बस चम्पू शुरू हो गया,
बोला नेताजी, आप तो जानते हैं कि ओबामा ने विश्व शान्ति के लिए कितना काम किया है। अरे अफगानिस्तान को नेस्तनाबूद कर उसने दुनिया में शान्ति ही तो कायम की है। आपको पता है, पिछले करीब दस साल से चल रहे अभियान में कम से कम ३००० करोड़ डॉलर खर्च हुए हैं। आप यह सोचिये कि जॉर्जबुश के अभियान को जरी रखने का फ़ैसला कर ओबामा ने शान्ति के मिशन को आगे बढ़ने में जिम्मेदारी भरा फ़ैसला लिया है।
नेताजी ने टोका, अबे इसमें ओबामा ने क्या किया, यह सब तो बुश का कमल है, नोबेल तो उन्हें मिलना चाहिए?
चम्पू बोला- नहीं नेताजी, बुश से तो अमेरिकी ही खुश नहीं थे। अब ओबामा ने मुंह बंद रखकर सारे कम को आगे बढ़ने का फैसला किया है, यह अवार्ड उसे मुंह बंद रखने के लिए दिया गया है। आप देखते नहीं हमारे यहाँ बक बक बोलने कि वज़ह से भाजपा कि कितनी दुर्गति हो रही है।
अच्छा- नेताजी ने कहा!
थोडी थोडी बात उन्हें समझ में आने लगी थी।
चम्पू आगे बढ़ा
नेताजी, इराक दुनिया में अशांति फैलाने का बहुत बड़ा कारण बन रहा था, इसलिए अमेरिका ने उसे भी तबाह किया।
नेताजी ने सवाल दगा- मतलब कि जो शान्ति के लिए खतरा बने उसे तबाह कर दो तो नोबेल मिल जाता है?
चम्पू बोला- सिर्फ़ यही नहीं है नेताजी, और भी गुन होने चाहिए।
सबसे पहले तो यह कि आपके पास इतना पैसा हो कि आप सबका मुंह बंद रख सकें।
नेताजी बोले- क्या मतलब?
चम्पू- नेताजी, पुरी दुनिया अगर आपके डोलर कि दीवानी हो, हथियारों के लिए सब आपका मुंह देखें, आपके पास किसी को मदद करने कि शक्ति हो, आपके बिना न तो संयुक्त राष्ट्र कुछ हो, न ही कोई अंतर्राष्ट्रीय sangtहन। मतलब कि आप सबसे पावरफुल हों।
नेताजी बोले अपने इलाके में तो मैं हूँ ही
चम्पू बोला उससे आपको नोबेल तो नहीं मिल सकत ना।
नेताजी- लेकिन महत्मा गाँधी तो बहुत पावरफुल थे उन्हें नोबेल क्यों नहीं मिला?
चम्पू- पहली बात कि वे भारत में पैदा हुए और यहीं रह गए, कुछ दिन के लिए अफ्रीका गए, लेकिन फिर लौट आए, अगर अमेरिका में बस जाते तो तुंरत अवार्ड मिल जाता।
नेताजी- सही कहा तुमने, भारत में काम करने वाले वैज्ञानिकों को अवार्ड नहीं मिलता, लेकिन वही अमेरिका में बस जायें तो तुरंत मिल जाता है।
चम्पू- दूसरी बात कि जिन दिनों गांधीजी पैदा हुए, भारत बहुत गरीब था। ये सारे अवार्ड गरीब लोगों के लिए नहीं। आप अमेरिका या इंग्लंड में पैदा हुए और कुछ एइसा किया कि लोगों को पता भी नहीं चले और काम भी हो जाए, तब अवार्ड मिलते हैं।
नेताजी- पर ये बता कि नोबेल अवार्ड के लिए नोमिनेशन होते समय ओबामा को सिर्फ़ १५ दिन हुए थे राष्ट्रपति बने लेकिन उनका नाम कैसे चुन लिया गया।
चम्पू- नेताजी पूत के पाँव पालने में ही नज़र आ जाते हैं, आपने बचपन से ही नहीं चोरी, गुंडागर्दी सब शुरू कर दी थी...
नेताजी चुप
चम्पू- नेताजी ओअबमा को यह अवार्ड उनके किसी काम के लिए नहीं, उनकी चापलूसी के लिए दिया गया है। इस बार कोमंवेल्थ गेम ढ ज़गह के चुनाव के लिया दिया गया। सौदा साफ़ था तुम हमें आयोजन दो, हम तुम्हें अवार्ड देंगे।
नेताजी- ये तो बहुत घालमेल हो गया, तुम मुझे सीधा बताओ, अवार्ड पाने के लिए क्या करना होगा?
चम्पू- नेताजी, खूब पैसा कमाइए, लोगों को आपस में लडाकर ख़ुद चौधरी बनिए। लोगों के बीच कम बोलने वाले कि छवि बनाइये और जहाँ मौका मिले चापलूसी करिए या करने वालों को इनाम दीजिये।
इसके अलावा और कुछ- नेताजी ने पुछा?
इसके अलावा और भी बहुत सी बातें हैं जहाँ जरूरत हो वहां कुछ मत कीजिये, जहाँ जरूरत नहीं वहां दखल दीजिये। ओबामा कि तरह कुत्ते पालिए और अगर संभव हो तो अमेरिका में जाकर बस जिए। हो सकता है कभी आपको भी अवार्ड मिल ही जाए!

No comments:

Post a Comment