Saturday, October 10, 2009
उषा अल्बुकुर्क से खास बातचीत
कैरियर स्मार्ट की निदेशक उषा अल्बुकुर्क आकर्षक कैरियर की तलाश करने वाले लाखों छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत की तरह हैं। पेशेवर पाठ्यक्रम पूरा करने या आम बीए, एमए की पढ़ाई करने के बाद छात्र रोजगार किस तरह प्राप्त कर सकते हैं, अगर बाजार में रोजगार उपलब्ध नहीं हो तो उन्हें क्या करना चाहिए और पढ़ाई के बाद कुशलता विकसित करने के लिए क्या करना चाहिए, ऐसे विषयों पर उषा जी ने काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उषा कहती हैं कि उन्होंने कॅरियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रूप में की थी, बाद में उन्होंने दूरदर्शन में समाचाार वाचिका के रूप में काम किया।उसके बाद उषा लगातार मीडिया से जुड़ी रहीं। उषा ने जी के लिए हम होंगे कामयाब जैसी लंबी और बहुचर्चित सीरियल भी बनाई। उषा जी ने कहा कि सबसे पहले महत्वपूर्ण यह है कि पेशेवर पाठ्यक्रम के लिए संस्थान में नामांकन कराते वक्त उस संस्थान की मान्यता और उस पाठ्यक्रम की मान्यता के बारे में पता कर लेना चाहिए। संस्थान प्लेसमेंट या प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराता है या नहीं, इस बारे में नामांकन से पहले जानकारी हासिल कर लें। उषाजी बताती हैं कि किसी कोर्स के बारे में दोस्तों या अभिभावकों से सुनना और उसके बारे में ज्यादा उम्मीदें पालना सही नहीं है। संस्थान से कोर्स कर चुके पुराने छात्रों की जानकारी जुटाएं और इस बारे में जानने की कोशिश करें कि वास्तव में उस कोर्स की बाजार में छवि क्या है और उस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद किस तरह का वेतन पैकेज आदि उपलब्ध है। छात्रों की राह में आने वाली प्रमुख दिक्कतें कौन कौन सी हैंसबसे पहली बात तो यह कि हमारे कॉलेजों में छात्रों के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। दूसरी बात यह कि अभिभावकों ने एक तरह से अनावश्यक दवाब बनाया हुआ है कि स्कूल खत्म होने के बाद आपको कॉलेज जाना ही है, आपको चाहे यह पसंद हो या नहीं। तीसरी बात यह कि पढ़ाई के लिए उपलब्ध विभिन्न विषयों के बारे में छात्रों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। छात्र दरअसल अपन प्रतिभा से ही अनजान बने रहते हैं। इस मामले में भारत में जागरूकता का अभाव है। विभिन्न पीढ़ी के छात्रों के बीच आप क्या अंतर पाती हैं? पहली बात तो यह कि अब कॉलेजों में पहले जितनी सीटें नहीं रहीं इससे कॉलेज पहुंचने वाला हर छात्र खुद को भीड़भाड़ में घिरा पाता है। आज छात्र अपने संस्थान से बेहतर सुविधाओं, पाठ्यक्रम और संसाधनों की मांग करते हैं। पहले छात्र कैरियर के बारे में सुनकर और जानकर उस पर आगे बढ़ते थे, जबकि आज के छात्र के पास इंटरनेट की मदद से हर आधुनिकतम जानकारी है और उसके लिए तैयारी कैसे करनी है, उसे यह भी पता है। पहले पेशेवर कैरियर के रूप में छात्र डॉक्टर, इंजीनियर या वकील बनने के बारे में ही सोच पाते थे, जबकि आज के छात्र एमबीए, सीए, एविएशन उद्योग और तमाम क्षेत्रों के बारे में जानते हैं। आज छात्रों के पास कॅरियर गाइडेंस के रूप में अखबार, टीवी और इंटरनेट के रूप में सूचनाओं का अपार स्रोत है। क्या आपको लगता है कि अब शिक्षा ज्ञान पाने के एक माध्यम की जगह व्यवसाय का बड़ा स्रोत बन गया है? हां यह सच है। आधुनिक शिक्षा पद्धति नौकरी पाने के लक्ष्यों के हिसाब से विकसित की गई है। शिक्षा पाने और देने का आखिरी उद्देश्य अच्छी नौकरी या अच्छा कॅरियर बनाना भर रह गया है। यही वजह है कि आज पेशेवर पाठ्यक्रमों को काफी अधिक महत्व दिया जा रहा है। क्या आज छात्रों पर पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधयों का दवाब बढ़ गया है? नहीं। इसकी जगह वे पाठ्यक्रम में शामिल विषयों के बोझ से दब गए हैं। पढ़ाई के साथ अन्य शारीरिक या मानसिक गतिविधियां जरूरी हैं क्योंकि इससे छात्रों का समग्र विकास होता है। पढ़ाई एवं शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन के लिए बढ़ती प्रतियोगिता की वजह से छात्रों पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव है। इसके बाद नौकरी पाने के लिए उन पर दबाव रहता है। छात्रों के लिए काउंसिलिंग में आप क्या इस्तेमाल करती हैं? उनके साथ सहानुभूति भरा व्यवहार, छात्रों की रुचि के हिसाब से चयन, उनका परीक्षण और अगर जरूरत पड़ी तो धीरे-धीरे उनकी पारिवारिक स्थितियों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें सही सलाह देना। अगर काउंसिलिंग को ही कॅरियर के ऑप्शन के रूप में चुनना हो तो? यह बहुत बेहतर क्षेत्र है। इस क्षेत्र में कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि अधिक से अधिक छात्र नए कॅरियर ऑप्शन चुनने के लिए सामने आ रहे हैं जिसमें उन्हें सलाह की जरूरत पड़ती है। इंटरनेट पर उपलब्ध अपार सूचनाओं की मदद से एक काउंसिलर छात्रों को अपनी पसंद का विकल्प चुनने और उसकी समस्याओं के निवारण में भूमिका निभा सकता है।
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