Saturday, September 5, 2009

हाऊसिंग लोन के बारे में सोच समझ कर लें फैसला

किसी बढिय़ा से शहर में अपना मकान खड़ा करना जिदंगी के चुनिंदा लक्ष्यों में से एक होता है। बैंक जरूरतमंद खरीदारों को लोन देने के लिए राजी हैं, ऐसे में अपना मकान खरीदने का ख्वाब हकीकत बन सकता है। ज्यादातर खरीदारों के लिए प्रॉपर्टी, मॉर्टगेज के रूप में देनदारी भी साथ लाती है। होम लोन लेने के लिए प्रोत्साहित करने वाली टैक्स छूट भी मौजूद है, लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि यह जेब पर बोझ के साथ आता है और यह बोझ हल्का कतई नहीं होता। लोन की अवधि के आधार पर आपको लोन की वास्तविक रकम से ज्यादा ब्याज का भुगतान करने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, मकान खरीदने वाले ज्यादातर लोग अपनी कीमती संपत्ति का आनंद लेते हैं और मासिक किस्त की फिक्र नहीं करते। बहरहाल ऐसा केवल तब तक होता है, जब तक महीने दर महीने सहूलियत के साथ ईएमआई का भुगतान होता रहे। होम लोन का एक महत्वपूर्ण पहलू, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं, पार्ट प्रीपेमेंट की सुविधा से जुड़ा है। ज्यादातर खरीदारों के लिए यह सुविधा उस वक्त प्रासंगिक और फायदेमंद साबित होती है, जब ब्याज दरें उफान पर हों और मासिक किस्त का भुगतान बूते से बाहर निकल जाए। हालांकि, इस सुविधा को दूसरे नजरिए से भी देखा जाना चाहिए। नजरिया यह है कि किस तरह कभी-कभार लोन का तय अवधि से पहले भुगतान करने से ब्याज का बोझ किस हद तक कम किया जा सकता है। इससे पहले कि हम बारीक जानकारी पर निगाह डालें, बुनियादी चीजों को दुरुस्त करना भी जरूरी है। पार्ट प्रीपेमेंट के मायने मौजूदा मासिक भुगतान से अलग अतिरिक्त मूल राशि का भुगतान करने से है। इसके पीछे मंशा मूल राशि का एक हिस्सा चुकाकर लोन की अवधि कम करना होनी चाहिए, न कि मासिक किस्त घटाना। अनुमान लगाया जा रहा है कि आप सहूलियत के साथ मासिक किस्त का भुगतान कर रहे हैं, पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि जैसे ज्यादा खर्च वाले लोन आपके सिर पर नहीं हैं और छोटी अवधि की वित्तीय जरूरतों के समेत कोई और देनदारी आपके कंधों पर नहीं है। इसलिए यह रकम अतिरिक्त सरप्लस है, जिसे व्यक्ति निवेश में तब्दील कर सकता है या फिर होम लोन की देनदारी का स्तर घटा सकता है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि यह फैसला कैसे किया जाए कि पैसे को निवेश किया जाए या फिर लोन की राशि घटाई जाए?सबसे पहले होम लोन वेंडर से यह जानना जरूरी है कि आंशिक प्रीपेमेंट सुविधा को लेकर प्रावधान क्या-क्या हैं। आंशिक प्रीपेमेंट को लेकर अलग-अलग बैंकों के नियम अलग-अलग होते हैं। ज्यादातर बैंक पार्ट प्रीपेमेंट के लिए कोई प्रीपेमेंट पेनल्टी नहीं लगाते, लेकिन इसकी सीमा तय हो सकती है कि कितनी रकम अदा करने की इजाजत दी जाएगी और साल में ऐसा कितनी बार किया जा सकता है। अनुमान लगाइए कि आपने 15 साल की अवधि के लिए 11 फीसदी की ब्याज दर पर 20 लाख रुपए का लोन लिया है। मासिक किस्त 22,730 रुपए बनेगी और लोन की अवधि के दौरान ब्याज खर्च के रूप में 20.92 लाख रुपए जेब से निकलेंगे। अब मान लीजिए कि तीन साल नियमित मासिक किस्त का भुगतान करने के बाद आपके पाए प्रीपेमेंट के लिए एक लाख रुपए की राशि इक_ïा हो गई है। 1 लाख रुपए का भुगतान करने और मासिक किस्त में कोई फेरबदल न करने के बाद आपकी लोन की अवधि 12 साल के बजाय घटकर 10 साल और आठ महीने रह जाएगी। इसके अलावा ब्याज के मोर्चे पर आप 2.48 लाख रुपए की बचत कर सकेंगे। इसी तरह ब्याज के मोर्चे पर बचाई जाने वाली राशि कुछ अवधि में मोटी रकम बन जाएगी और आप दोबारा प्रीपेमेंट का फायदा उठा सकते हैं।

No comments:

Post a Comment