मंदी की धूल झाड़कर खड़ा होने की कोशिश कर रही देश की आर्थिक वृद्धि ने छह तिमाहियों ने पहली बार रफ्तार दिखाई है। केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल के शुरुआती तीन महीनों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.1 फीसदी दर्ज की गई है। नीति-निर्माताओं और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जीडीपी के आंकड़े बता रहे हैं कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए बदतर हालात पीछे छूट चुके हैं, क्योंकि सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने मजबूत संकेत दिए हैं। मानसून की बारिश के दगा देने को लेकर काफी निराशा जताई जा रही थी, लेकिन हालिया आंकड़े इन्हें दरकिनार करते हुए उम्मीद बंधा रहे हैं कि मौजूदा कारोबारी साल में अर्थव्यवस्था बढिय़ा रफ्तार से बढ़ेगी। 6.1 फीसदी की वृद्धि दर 9 फीसदी के आगे फीकी नजर आती है, जो भारत ने वैश्विक आर्थिक संकट से पहले दर्ज की थी। लेकिन मौजूदा वैश्विक हालात में कई देश जीडीपी में यह गति हासिल करने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं, लेकिन कामयाबी फिर भी नहीं मिल रही। वैश्विक आर्थिक संकट के बाद 2008-09 की अंतिम दो तिमाहियों में देश की आर्थिक बढ़त 5.8 फीसदी तक लुढ़क गई थी, जिससे पिछले वित्त वर्ष के लिए कुल वृद्धि दर 6.7 फीसदी दर्ज की गई। पिछले कारोबारी साल की शुरुआती दो तिमाहियों में यह वृद्धि दर 7.8 फीसदी और 7.7 फीसदी के ऊंचे स्तर पर रही थी। पिछले वित्त वर्ष की तिमाही के आधार पर बेस ज्यादा रहा था और उसकी तुलना में 6.1 फीसदी के स्तर तक पहुंचना सम्मानजनक आंकड़ा लगता है।योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक 'संभवत: अर्थव्यवस्था के लिए बुरे हालात खत्म हो चुके हैंÓ और ग्रोथ आगामी तिमाहियों के दौरान और सुधार दिखाएगी। वित्त सचिव अशोक चावला ने कहा कि सोमवार को जारी हुए आंकड़े अनुमान के मुताबिक रहे हैं और यह बढ़त मार्च 2010 को खत्म होने वाले कारोबारी साल के लिए 6.5 फीसदी के स्तर तक पहुंच सकती है। पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई थी, ऐसे में मौजूदा कारोबारी साल की आगामी दूसरी छमाही की बढ़त तुलना के आधार पर बेहतर ही दिखाई देने की संभावना है। बेस इफेक्ट, वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी और उद्योग को मुहैया कराए गए घरेलू राहत पैकेज के साथ मिलकर सूखे के प्रभाव को कम कर सकते हैं। मंगलवार को योजना आयोग की बैठक से एक दिन पहले जारी नोट में सतर्क किया गया कि हालांकि 'हालात बदतर होने की सूरत में कृषि क्षेत्र की जीडीपी वृद्धि दर अगर 6.0 फीसदी तक गिरती है, तो कुल जीडीपी बढ़त 5.5 फीसदी पर सीमित रह सकती है।Óबीते तीन साल में 9 फीसदी की बढ़त दर दर्ज करने के बाद अर्थव्यवस्था मार्च 2009 को खत्म साल के दौरान 6.7 फीसदी की दर से बढ़ी थी। हालांकि, देश का 40 फीसदी हिस्सा सूखे से जूझ रहा है, इसके बावजूद अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसका जीडीपी बढ़त पर मामूली असर होगा।
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