Wednesday, August 26, 2009

मंदी से और चटख हुए कलाकृतियों में निवेश के रंग

मंदी से और चटख हुए कलाकृतियों में निवेश के रंग
कीमत में कमी से युवा खरीदारों का बढ़ा रुझान, विदेशी आर्ट गैलरियां भी नए चलन से उत्साहित
अमित त्यागीनई दिल्लीआर्थिक मंदी ने कलाकृतियों में निवेश करने वालों को सुनहरा मौका मुहैया कराया है क्योंकि अब वे पेंटिंग भी अपेक्षाकृत सस्ते भाव में मिल रही हैं जो पहले आसमान छू रही थीं। इसके साथ ही नए कलाकारों को भी बाजार में जगह बनाने में मदद मिल रही है और उभरते भारतीय मध्य वर्ग के खरीदार उनकी कलाकृतियों को हाथों-हाथ ले रहे हैं। भारत के उभरते मध्य वर्ग की परिष्कृत होती रुचि का ही असर है कि विदेशी गैलरियां भी भारतीय कला आयोजनों में शामिल होने को लेकर पहले से अधिक उत्साह दिखाने लगी हैं। उनका कहना है कि भारतीय युवा खरीदारों में कलाकृतियों को निवेश के उपाय के रूप में देखने का चलन बढ़ रहा है। यही वजह है कि नई दिल्ली के प्रगति मैदान में बुधवार से शुरू हुई चार दिवसीय इंडिया आर्ट समिट के तीसरे दिन शुक्रवार को आधी से अधिक कलाकृतियां बिक चुकी थीं। इस समिट में भारत के अलावा अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, थाईलैंड, जर्मनी, लातविया, नीदरलैंड और फिलीपींस की आर्ट गैलरियां हिस्सा ले रही हैं। इंडिया आर्ट समिट के इस दूसरे एडिशन को मशहूर कलाकृति नीलामी संस्था सॉदबी ने भी सपोर्ट किया है। समिट की एसोसिएट डायरेक्टर नेहा किरपाल ने बताया कि पिछली बार आर्ट समिट में आई कलाकृतियों की कुल कीमत करीब 20 करोड़ रुपए थी जिसमें से दस करोड़ रुपए की कलाकृतियां बिकीं। उन्होंने कहा कि इस बार ग्राहकों की संख्या में चार गुना तक वृद्धि होने के अनुमान के साथ कारोबार में भी उसी हिसाब से वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है।समिट में शामिल कोलकाता की आर्ट गैलरी आकार प्रकार के प्रमुख अभिजीत लाट ने कहा कि मंदी की वजह से वास्तव में आर्ट कारोबार को फायदा मिला है। लाट ने कहा, 'पिछले सात-आठ सालों में भारत में आर्ट कारोबार को एक पहचान मिली है। इस अवधि में देश में युवा पेशेवरों का एक नया समूह भी तैयार हुआ है जिसे आर्ट में काफी दिलचस्पी है।Ó लाट कहते हैं कि नई दिल्ली में इस समिट में उन्होंने तीन-चार कलाकृतियां बेची हैं, जिनकी कीमत दो से तीन लाख रुपए के बीच है।मुंबई की आर्ट गैलरी शेमॉल्ड प्रेसकॉट ने रीना सैनी कलात की रबर के मुहर से बनी कलाकृति पेश की है जिसे समिट में आने वाले दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा गैलरी ने जगन्नाथ पांडा, डेसमंड लजोर, हेमा उपाध्याय और शकुंतला कुलकर्णी की भी कलाकृतियां पेश की हैं। शेमॉल्ड की शिरीन गांधी कहती हैं, 'इस बार हमें मेले में आने वाले ग्राहकों से जोरदार प्रतिक्रिया मिली है। लोग इन्हें पसंद कर रहे हैं और कई युवाओं ने इसे खरीदने के लिए हमसे संपर्क किया है।Óगुडग़ांव के देवी आर्ट फाउंडेशन के अनुपम पोद्दार ने कहा कि कलाकृतियों में निवेश लंबी अवधि के लिहाज से महत्वपूर्ण तो है ही, इसे अपने घर में शामिल करने से आपके व्यक्तित्व में भी निखार आता है। एक अन्य आर्ट गैलरी लैटिट्यूड 28 की भावना काकर कहती हैं, 'इस बार मेले में युवाओं की दिलचस्पी अधिक देखने को मिल रही है। इसकी एक वजह यह है कि अंतरराष्टï्रीय आर्थिक संकट की वजह से कलाकृतियों की कीमत में कमी आई है और अब युवाओं को इसकी कीमत उनकी पहुंच में लग रही है।Ó काकर कहती हैं कि मेले में तीन दिनों में उन्होंने चार कलाकृतियां बेची हैं और कम से कम 17 कलाकृतियों को खरीदने के लिए लोगों ने पूछताछ की है।मेले में संयुक्त अरब अमीरात, फिलीपींस और थाईलैंड की आर्ट गैलरी में लोगों की अधिक दिलचस्पी रही। फिलीपींस की कंटेंपररी आर्ट गॅलरी द ड्रॉइंग रूम के सीजर एच विलालन ने कहा, 'मंदी की वजह से आर्ट कारोबार पर असर पड़ा है, लेकिन मनीला में यह असर मामूली है। भारत में तो हमें शानदार प्रतिक्रिया मिली है और हम यहां के युवाओं के रुख से काफी उत्साहित हैं।Ó इस गैलरी ने पांच में से तीन कलाकृतियां बेचने में सफलता हासिल की, जिनकी कीमत 12,000-13,500 डॉलर के बीच थी।

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