Wednesday, August 26, 2009

दीप से दीप जला रही हैं सौर उपकरण कंपनियां

देश के कई इलाकों में बिजली आपूर्ति की लचर हालत के बीच अक्षय ऊर्जा एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रही है, आम जनता के लिए भी और कंपनियों के लिए भी। अक्षय ऊर्जा उत्पादों से जुड़ी कुछ कंपनियों का कारोबारी मॉॅडल जहां उनके विकास की राह रोशन कर रहा है, वहीं इससे दूरदराज के उन इलाकों में भी प्रकाश फैल रहा है जहां बिजली आंख-मिचौली खेलती रहती है। ये कंपनियां प्रतिदिन के मामूली किराए के आधार पर लोगों को सोलर लालटेन और सीएफएल बल्ब जैसे उत्पाद मुहैया कराती हैं। हर शाम ये लालटेन घरों में पहुंचाई जाती हैं और सुबह इन्हें चार्जिंग स्टेशन रवाना कर दिया जाता है। साल भर तक किराया वसूलने के बाद एलईडी लालटेन उस परिवार को मुफ्त में दे दी जाती है। सीएफएल लालटेन दो साल बाद परिवार को सौंपी जाती है।बंगलुरु की कंपनी कोटक ऊर्जा सोलर लालटेन, गीजर, बिलबोर्ड लाइटिंग सिस्टम, सीएफएल स्ट्रीट लाइट और सोलर वाटर प्यूरीफिकेशन सिस्टम आदि बनाती है। कोटक ने कर्नाटक, महाराष्टï्र, आंध्र प्रदेश, झारखंड और जम्मू कश्मीर के बिजली रहित ग्रामीण इलाकों के लिए एक अनूठी योजना बनाई है। कंपनी पांच वॉट के सीएफएल या एलईडी सोलर लालटेन को प्रतिदिन के किराए के हिसाब से लोगों को उपलब्ध कराती है। कोटक ऊर्जा के जनरल मैनेजर (मार्केटिंग एवं प्रोजेक्ट्स) मनोज कुमार पीबी कहते हैं, 'हम जिन इलाकों में यह योजना चला रहे हैं, वहां लोगों के लिए एकमुश्त रकम खर्च करना काफी मुश्किल है। हमने इसके लिए उनसे प्रतिदिन किराया वसूलने की योजना पर काम किया है।Óकंपनी के पास केंद्रीकृत चार्जिंग स्टेशन है, जहां से हर शाम लालटेन लोगों तक पहुंचाई जाती हैं और सुबह वापस लाई जाती हैं। मनोज कहते हैं, 'इलाके के लोग आमतौर पर मिट्टïी के तेल पर रोज दस रुपए खर्च करते हैं। हम उनसे पांच रुपए किराया लेते हैं। इसमें से एक रुपया उन एनजीओ को जाता है जो लालटेन बांटने और उसे चार्जिंग स्टेशन तक पहुंचाने में कार्यरत हैं।Ó इस समय कंपनी सीधे करीब 10,000 लालटेन का कारोबार कर रही है, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से करीब 50,000 लालटेन इस योजना में शामिल हैं जिनमें से कुछ को परिवारों को दिया भी जा चुका है।हैदराबाद की एंड्रोमेडा एनर्जी टेक के मैनेजर (सेल्स) के एन राव कहते हैं, 'अब तक हम एक लाख से अधिक सोलर लालटेन ग्रामीण इलाके के लोगों में बांट चुके हैं।Ó एंड्रोमेडा ग्रामीण इलाके में लालटेन की कीमत 20 मासिक किस्तों में वसूलती है। 1993 में इस कंपनी ने कारोबार शुरू किया है और अब तक 1.35 लाख लालटेन बांट चुकी है। राव कहते हैं, 'सोलर लालटेन और प्लेट हम सबसे पहले ग्रामीणों को सौंप देते हैं। फिर 1,650 रुपए से 2,400 रुपए तक की कीमत के इन लालटेन को ब्याज मुक्त 20 किस्तों में वापस करने की सुविधा दी जाती है। अब इसी योजना पर कंपनी ग्रामीणों को सोलर टेबल फैन भी उपलब्ध करा रही है।Ó 12 वॉट के मोटर वाले इस पंखे की कीमत 4,000 से 5,000 रुपए के बीच है।दिल्ली की कंपनी गौतम पॉलीमर्स सोलर लालटेन को सस्ता बनाने के लिए कई तकनीकों के विकास में जुटी है। कंपनी के प्रमुख गौतम मोहनका कहते हैं, 'सीएफएल और एलईडी में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एलईडी कम ऊर्जा की खपत में अधिक रोशनी देने में सक्षम है। हम सोलर लालटेन में एलईडी बल्ब की सहायता से उसकी कीमत को न्यूनतम स्तर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।Ó एलईडी लाइट के इस्तेमाल से सोलर लालटेन की कीमत सीएफएल की तुलना में आधी हो जाती है। गौतम पॉलीमर्स टेरी और कई अन्य संस्थाओं की मदद से ये लालटेन देश के ग्रामीण इलाकों में पहुंचा रही है। एलईडी लालटेन की कीमत 1,800-2,000 रुपए के बीच है और दिनभर चार्ज करने के बाद यह करीब 8-10 घंटे रोशनी देती है, जबकि सीएफएल लालटेन की कीमत इससे दोगुनी और रोशनी का समय आधा होता है।

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