Sunday, May 17, 2009

बाज़ार में आज किस पर लगायें दाँव

सरकारी खर्च का फायदा पाने वाले सेक्टर के शेयरों में aa sakti hai तेज़ी

बाजार के खिलाडिय़ों के मुताबिक बाजार में तेजी को इंफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग सेक्टर देंगे दिशा

लोकसभा चुनाव के नतीजों से यह बात तो साफ है कि सोमवार को शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी आएगी। इसमें निवेशक उन सेक्टर की कंपनियों पर दाव लगाना चाहेंगे जिन्हें केंद्र की यूपीए सरकार की नीतियों से फायदा हो सकता है। बाजार के ज्यादातर खिलाडिय़ों को लगता है कि इंफ्रास्ट्रक्चर और बैंकिंग सेक्टर तेजी को दिशा देंगे। ऐसा इसलिए कि देश की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में इन दोनों सेक्टरों का विशेष योगदान होगा। दरअसल नई सरकार की पहली प्राथमिकता मंदी की चपेट में आई घरेलू अर्थव्यवस्था को सही राह पर लाना है।आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट के डिप्टी एमडी और सीआईओ निलेश शाह कहते हैं, 'जिन सेक्टर की कंपनियों को सरकारी व्यय से फायदा होने वाला है उनको लेकर हमारा रुख सकारात्मक है।Óआर्थिक अनिश्चय की स्थिति और नकदी की तंगी को देखते हुए निजी क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां विस्तार योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल रही हैं। इसको देखते हुए देश के इंफ्रास्ट्रक्चर (बिजली, सड़क और बंदरगाह सहित) में सरकारी निवेश का महत्व पिछले कुछ महीनों से काफी बढ़ गया है। फंड मैनेजरों और विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी व्यय से इन सेक्टरों में गतिविधियां बढ़ेंगी। इससे सेक्टर को लेकर कंपनियों और निवेशकों का भी भरोसा बढ़ेगा।लेकिन बाजार के खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर आम राय हैं कि सरकार को सोच-समझ कर खर्च करना चाहिए। क्योंकि राजकोषीय घाटे को देखते हुए देश की वित्तीय स्थिति पहले से ही काफी खराब है। देश का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष और अगले कारोबारी साल दुनिया भर के देशों में सबसे ज्यादा 10 फीसदी से ऊपर होने के आसार हैं। राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के सापेक्ष मापा जाता है।राजकोषीय घाटा कहीं भी जाए, सरकारी व्यय तो हर हाल में होना है। इसलिए बाजार के खिलाडिय़ों को लगता है कि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के कई प्रमुख उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। इनमें उन सेक्टरों की कंपनियां होंगी जो विनिवेश की सूची में पहले से शामिल हैं। इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों की कीमत में थोड़े समय के लिए उछाल आ सकता है। एक निजी म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर के मुताबिक, 'विनिवेश बाजार के लिए बहुत बड़ा अवसर होगा क्योंकि 2003-04 की तेजी मारुति में विनिवेश होने के तुरंत बाद आई थी।Óकेंद्र सरकार में वाम दलों के नहीं होने से बैंकिंग सेक्टर में कुछ बाजार अनुकूल सुधार शुरू होने की संभावना है। इसको देखते हुए बैंकिंग शेयरों में तेजी आ सकती है। बैंकिंग सेक्टर के लंबित सुधारों में अन्य बड़े मुद्दों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कंसोलिडेशन प्रक्रिया को बढ़ावा देना और उनमें सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 33 फीसदी करना शामिल है। बीमा कंपनियां चलाने वाली कारोबारी इकाइयों के शेयरों में इस उम्मीद में तेजी आ सकती है कि सरकार बीमा सेक्टर में एफडीआई सीमा बढ़ाने वाले विधेयक को संसद में जल्द पास करा लेगी। बीमा संशोधन विधेयक में एफडीआई की सीमा को मौजूदा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने का प्रस्ताव है।बाजार के खिलाडिय़ों को लगता है कि इस उत्साहवद्र्धक वातावरण में भी कुछ सेक्टर बेहतर प्रदर्शन के मामले में पिछड़ सकते हैं। केंद्र में भाजपानीत सरकार बनने की उम्मीद में हाल के दिनों में गुजरात की कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त तेजी आई थी। अब चूंकि केंद्र में भाजपा की प्रतिद्वंद्वी पार्टी की सरकार बन रही है, इसलिए इन कंपनियों के शेयरों के भाव में तेज गिरावट आ सकती है।

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