Sunday, May 17, 2009

बीमा क्षेत्र को वाम डर से मुक्ति

बीमा क्षेत्र को 49 फीसदी एफडीआई की उम्मीद बढ़ी
केंद्र में कांग्रेस नीत गठबंधन की सरकार बनने से बीमा कंपनियों को उद्योग का भविष्य काफी उज्ज्वल नजर आ रहा है। नकदी की तंगी से जूझ रही बीमा कंपनियों को लग रहा है कि नई सरकार में वाम दलों के नहीं रहने से इस बार बीमा संशोधन विधेयक पास हो जाएगा। इस संशोधन विधेयक में बीमा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 फीसदी करने का प्रस्ताव है।बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक कामेश गोयल कहते हैं, 'लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के विजयी बनकर उभरने से हमें उम्मीद बंधी है कि सरकार बीमा सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाएगी। यूपीए ने बीमा विधेयक पास कर दिया था और उसे मंजूरी दिलाने के लिए लोकसभा में पेश किया। अब हम उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस उसे आगे बढ़ाएगी।Óपिछले साल अक्टूबर में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बीमा अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेशक पेश किया था। इसमें बीमा कंपनियों में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी करने का प्रस्ताव किया गया था। लेकिन वाम दलों के विरोध के चलते यह विधेयक पास नहीं हो पाया। उस समय सरकार बचाने के लिए जरूरी था कि उसे वाम दलों का समर्थन मिलता रहे।मेटलाइफ के प्रबंध निदेशक राजेश रेलन कहते हैं, 'हमें लगता है कि नई सरकार बीमा संशोधन विधेयक को आगे बढ़ाएगी। कानून में तब्दील होने के लिए इसे संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। इससे बीमा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा जिसकी उसे सख्त जरूरत है। एफडीआई की सीमा बढऩे पर बीमा उद्योग मजबूत होगा। इससे बीमा उद्योग की पहुंच का दायरा बढ़ेगा और समाज के वंचित तबके को बीमा की सुविधा देने की कोशिश में मदद मिलेगी।Óनिजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने अपने कारोबार में लगभग 25,000 करोड़ रुपए का निवेश किया हुआ है। इन कंपनियों को अपनी पूंजी का काफी बड़ा हिस्सा पिछले दो साल में हासिल हुआ है। इस दौरान शेयरों के भाव में दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोतरी हो रही थी। इससे प्रमोटरों को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) से पूंजी जुटाने में मदद मिली।अब विश्लेषक बीमा कंपनियों को पहले जैसे शानदार वैल्यूएशन नहीं दे रहे हैं इसलिए भारतीय प्रमोटर कारोबार में पूंजी बढ़ाने में संकोच कर रहे हैं। बीमा उद्योग का मानना है कि अगर एफडीआई की सीमा बढ़ा दी जाती है तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीमा उद्यमों में और 10,000 करोड़ रुपए का निवेश कर सकते हैं। बीमा नियामक इरडा भी उम्मीद कर रहा है कि नई सरकार एफडीआई सीमा को बढ़ा सकती है। उसके हिसाब से एफडीआई सीमा में बढ़ोतरी बड़े लंबित सुधारों में शुमार है।जीवन बीमा कंपनियों के मुताबिक उद्योग में उदारीकरण से कुछ अप्रत्यक्ष लाभ भी होंगे। पिछले साल जीवन बीमा कंपनियां शेयर बाजार के सबसे बड़े संस्थागत निवेशक के रूप में उभरी थीं। इसके अलावा जीवन बीमा कंपनियों को म्यूचुअल फंडों के उलट मंदी में भी नियमित रूप से फंड हासिल हुए हैं। रेलन बताते हैं कि बीमा उद्योग की तरक्की से दूसरे लाभ भी होंगे। जैसे इससे देश में प्रति चक्रीय विकास होगा, ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा और स्वास्थ्य क्षेत्र का विकास होगा।

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