Tuesday, May 19, 2009
छोटे एवं मंझोले उद्योगों की आ गयी मौज
भारतीय टेलीकॉम बाजार की विकास यात्रा बदस्तूर जारी है और आने वाले समय में भी इसके इसी रफ्तार से बढऩे की उम्मीद है। टेलीकॉम कंपनियों के इस विस्तार की वजह से भारत में कई सेक्टर के लिए कारोबार के अवसर बढ़े हैं। नए ग्राहकों को आकर्षित करने के अलावा टेलीकॉम कंपनियां प्रति ग्राहक औसत कमाई (एआरपीयू) बढ़ाने पर भी जोर दे रही हैं। एआरपीयू में कमी की वजह से कंपनियों का ध्यान अब मूल्यवर्धित सेवाओं (वीएएस) सेगमेंट पर केंद्रित हो रहा है। भारत में सॉफ्टवेयर एवं सेवा कंपनियों की बढ़ती संख्या और इस क्षेत्र में एसएमई के प्रवेश ने मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता के नए मापदंड स्थापित किए हैं। मोबाइल के लिए लोकप्रिय कंटेंट या वीएएस के तहत एसएमएस, म्यूजिक, ऑडियो, वीडियो, सॉफ्टवेयर और गेम्स आदि आते हैं। नॉन वॉयस रेवेन्यू में टेक्स्ट मैसेज इस समय कमाई का सबसे बेहतर जरिया है। अगर एसएमएस या टेक्स्ट मैसेज को बाहर निकाल दिया जाए तो भारतीय वीएएस बाजार करीब 4,200 करोड़ रुपए का है। अगले तीन से पांच साल में इसके दोगुना हो जाने की उम्मीद है। प्रति ग्राहक औसत कमाई में कमी आने के बाद टेलीकॉम कंपनियां एआरपीयू बढ़ाने के लिए वीएएस पर जोर दे रही हैं। मजे की बात यह है कि इस समय उद्योग जगत में एसएमई अधिकतर कंटेंट और वीएएस सेवा विकसित कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि इस क्षेत्र में नए कंटेंट विकसित करने में बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों का योगदान नहीं है और एसएमई हर रोज नई सेवाओं की खोज कर रही हैं। भारत में विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों की कमाई में वीएएस का योगदान सात से पंद्रह फीसदी के बीच है। मजे की बात यह है कि जापान में वीएएस सेवा का टेलीकॉम कंपनियों की कमाई में हिस्सा करीब 30 फीसदी है। भारत में टेलीकॉम के बढ़ते घनत्व की वजह से मोबाइल पर इंटरनेट और डिजिटल म्यूजिक का लोगों में जबरदस्त क्रेज है। द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शहरों से इस तरह की सेवाओं की बढ़ती मांग कंपनियों के लिए अवसरों के नए दरवाजे खोल रही है। जापान की वीएएस सेवा विकसित करने वाली एसएमई जीरो सम वायरलेस सॉल्यूशंस ने मैसूर में अपना कारोबार शुरू किया है। कंपनी के सीईओ विवेक चतुर्वेदी कहते हैं कि भारतीय बाजार में विस्तार की अपार संभावनाएं हैं। चतुर्वेदी कहते हैं, 'मोबाइल फोन के मामले में भारत में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वीएएस के इस्तेमाल से हमारे दैनिक जीवन में बहुत बदलाव आ सकते हैं। इसे मौजूदा तरीके से थोड़ा सा अलग करके देखने की जरूरत है।Ó मौज ब्रांड नाम से मोबाइल वीएएस सेवा देने वाली कंपनी पीपुल इंफोकॉम से सीईओ मनोज दवाने का मानना है कि बाजार में इस समय संगीत का जबरदस्त क्रेज है। मोबाइन वीएएस और गेमिंग कंपनी इंडिया गेम्स के विशाल गोंडल कहते हैं कि उपभोक्ताओं को मनपसंद विकल्प उपलब्ध कराना और विविधता सबसे बड़ी चुनौती है। चतुर्वेदी का मानना है कि लोगों द्वारा खर्च करने में सावधानी बरतने की वजह से मनोरंजन पर खर्च कम किया गया है। गेम जैसे मनोरंजक उत्पाद पेश करते समय रणनीतिक निर्णय की जरूरत पड़ती है। वह कहते हैं कि आने वाले दिनों में लोग एक किलो चावल खरीदना पसंद करेंगे या दस रुपए में एक गेम। जीरो सम जैसी गेमिंग और वीएएस कंपनियां भी इस बात से कुछ हद तक सहमत हैं। चतुर्वेदी और दवाने दोनों का मानना है कि टेलीकॉम जगत में वॉयस अब सस्ती कमोडिटी बन गई है और कंपनियों की कमाई में कंटेंट एवं डेटा का महत्वपूर्ण योगदान हो गया है। जीआरपीएस एप्लिकेशन के आने के बाद मोबाइल के उपयोगकर्ताओं के बीच डेटा सर्विसेज की मांग में काफी वृद्धि देखी गई है। जापान में आई मोड नाम से वीएएस सेवा देने वाली एनटीटी डोकोमो की साइट पर करीब चार करोड़ ग्राहक आते हैं। डोकोमो अपने ग्राहकों से फोन बिल के साथ ग्राहकी वसूल करती है और 9 फीसदी कमीशन रखकर बाकी रकम वीएएस सेवा देने वाली कंपनियों को दे देती है। इस तरह का मॉडल भारत में भी अपनाया जा सकता है। टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल कर बेहतर नेटवर्क उपलब्ध कराने का प्रयास कर सकती हैं। इससे मल्टीमीडिया एप्लिकेशन और डेटा ट्रैफिक के मामले में कंपनियों का प्रदर्शन सुधारने में मदद मिलेगी। मोबाइल डेटा बिजनेस एप्लिकेशन बाजार में सबसे तेजी से बढ़ता कारोबार है। इसके विस्तार में कंपनियों की जरूरत के हिसाब से मोबाइल डेटा और बिजनेस एप्लिकेशन का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। टेलीकॉम जगत में कंटेंट और कंटेंट उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के बढ़ते दखल की वजह से कंटेंट के विकास और वितरण में भी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। आने वाले दिनों के लिए उम्मीद की जा रही है कि कंटेंट के लिए नेटवर्क पर निर्भरता कम रह जाएगी और वीएएस कंपनियां उपभोक्ताओं तक कंटेंट खुद पहुंचाने लगेंगी, इससे ऑपरेटर के नेटवर्क पर निर्भरता घटेगी।
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