Sunday, April 12, 2009

जोड़ी मिलाने में करें खर्च पर काबू

आप शादी-ब्याह का खर्च कम करना चाहते हैं लेकिन इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि इस अभियान की शुरुआत कहां से की जाए। जिंदगी के इस महत्वपूर्ण आयोजन को यादगार के साथ-साथ किफायती कैसे बनाया जाए और भारी खर्च पर लगाम कैसे कसी जाए, हम जानकारी दे रहे हैं

जोडिय़ां भले स्वर्ग में तय होती हों, लेकिन अंजाम तक धरती पर ही होती है। हर दूल्हा और दुल्हन चाहते हैं कि सैकड़ों मेहमानों के बीच और चमचमाते आयोजन स्थल में उनकी इच्छा के मुताबिक शादी संपन्न हो और इस पर एक रुपया भी खर्च न आए। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा ख्वाब में ही हो सकता है। असल जिंदगी में शादी का मतलब होता है सभी संबंधित पक्षों के लिए कई सप्ताह तक जारी रहने वाली चिंता और तनाव। यह सिरदर्द शादी की तारीख तय होने से लेकर अंतिम रिसेप्शन तक जारी रहता है। इस चिंता को दोगुना करने का काम करता है आपका घटता बैंक बैलेंस जो हर एक समारोह के साथ एक-एक पायदान सरकता जाता है।
अभिभावक होने के नाते यह संभव है कि आप इस बारे में ज्यादा न सोचते हों, खास तौर से तब जब आपने इस खास दिन के लिए पहले से काफी बचत कर रखी हो। वास्तव में मौजूदा मंदी के माहौल में भी ज्यादातर अभिभावक पैसा कम खर्च करने की सलाह को सिरे से दरकिनार कर सकते हैं क्योंकि उनका कहना है कि ऐसा मौका जिंदगी में एक या दो बार आता है। कहानी कुछ भी क्यों न हो। ऐसे कुछ कदम जरूर हैं जो आप जेब पर पडऩे वाले खर्च के भारी बोझ को संतुलित करने के लिए उठा सकते हैं। अगर आप इस बात को लेकर हैरान हैं कि ऐसा कैसे किया जा सकता है तो मदद के लिए पेश है जानकारी:

बजट कीजिए तैयार
ज्यादातर वित्तीय योजनाकार इस बात से इत्तफाक रखते हैं कि माता-पिता होने के नाते आपको सबसे पहला कदम इस बात का खाका खींचने का उठाना चाहिए कि आप शादी में कितनी रकम खर्च कर सकते हैं। जमीनी हकीकत के करीब रहिए और ऐसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भावनाओं में बहने की गलती मत कीजिए। इसके बाद कपड़े, गहने, तोहफे, खान-पान, सजावट जैसे खर्च के अलग-अलग सेगमेंट से जुड़ा अनुमान लगाइए और यह भी तय कीजिए कि इनमें से प्रत्येक पर आप कितनी रकम खर्च करना चाहते हैं। मुंबई के फाइनेंशियल प्लानर जनखाना शाह को लगता है कि ऐसा कर आप प्राथमिकताएं तय लेते हैं और ऐसे फैसले करना भी आसान हो जाता है जो व्यावहारिक और जमीनी हकीकत के करीब हों। इस बीच किसी भी खास सेगमेंट पर जरूरत से ज्यादा खर्च पर अपनी तेज निगाह रखिए। इसके अलावा हर चरण में अपनी योजनाओं की जानकारी दूल्हे या दुल्हन को जरूर दीजिए ताकि बाद में आपके और उनके बीच कोई गलतफहमी पैदा न हो। हालांकि, अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कौन से खर्च पर काबू पा सकते हैं तो आपके सामने पेश हैं कुछ व्यावहारिक विकल्प:

समारोह की संख्या सीमित
एक कदम पीछे हटिए और खुद से सवाल कीजिए कि आपको वास्तव में शादी से पहले और उसके बाद कितने समारोह आयोजित करने की वास्तव में जरूरत है। अतीत में जो हमने शादी-ब्याह देखे हैं उनमें से हर एक में दूल्हा-दुल्हन के लिए कम से कम छह से सात समारोह का आयोजन किया जाता है लेकिन वेडिंग प्लानर का मानना है कि इस संख्या को तीन या चार तक घटाया जा सकता है। मसलन, कई परिवार अब गैरजरूरी खर्च से बचने के लिए शादी और रिसेप्शन जैसे समारोह का संयुक्त आयोजन करा रहे हैं। इसके अलावा अगर दोनों परिवारों के बीच ताल्लुकात बहुत अच्छे हैं तो आप तमाम समारोह के संयुक्त आयोजन और खर्च बांटने की योजना भी बना सकते हैं।
एक और खेल है जो आप संख्या के साथ खेल सकते हैं। 1,500 से 2,000 मेहमानों को आमंत्रित करने से भले शहर भर में आपकी चर्चा हो जाएगी लेकिन अगर आप इस संख्या में 200-300 की कमी लाते हैं तो बचने वाली रकम समारोह स्थल की सजावट या खान-पान में एक डिश की संख्या बढ़ाने में इस्तेमाल की जा सकती है। अगर आपको इस बात का डर है कि इससे आपके जानकार लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं तो मेहमानों की सूची को विभाजित कर लीजिए और अलग-अलग समारोह में अलग-अलग लोगों को दावत दें। इसके अलावा निमंत्रण पत्र को साधारण और क्लासी रखें तथा कार्ड के साथ तोहफे बांटने से बचें। अगर आप इस बात को लेकर ज्यादा संजीदगी रखते हैं तो आप कार्ड के साथ मिठाई जैसे पारंपरिक आइटम भेज सकते हैं।

साधारण की अहमियत
एक बात हमेशा याद रखिए कि यह जरूरी नहीं कि भारी खर्च ही ग्लैमरस और क्लासी लुक देता है। अगर आप शादी की योजना बनाने में चतुराई दिखाते हैं तो आप कम खर्च कर भी उसी स्तर तक पहुंच सकते हैं। वेडिंग उद्योग के कंसल्टेंट मेहर सरीद ने कहा, 'बीते दो साल के दौरान शादी की सजावट में कम से कम खर्च होता देखा जा रहा है। इसलिए अगर आप टेंट के लिए हाथ से एम्ब्रॉइड किए गए वेल्वेट इस्तेमाल नहीं करना चाहते तो साधारण और सस्ते विकल्प भी उपलब्ध हैं। आप उन पर प्रिंट के साथ वेल्वेट या मोटा सेटिन उपयोग हुआ टेंट भी लगवा सकते हैं। इसी तरह मंडप, पीछे का मंच, सजा हुआ प्रवेश द्वार जैसी शादी की बुनियादी सज्जा के लिए अगर आप घरेलू स्तर पर उपलब्ध फूलों और सामान का इस्तेमाल करते हैं तो यह खर्च 50,000 रुपए तक सिमट सकता है जो समारोह को ज्यादा ग्लैमरस बनाने के चक्कर में कभी-कभी 10-15 लाख रुपए तक पहुंच जाता है। गहने दूसरा ऐसा सेगमेंट हैं जहां आप भारी खर्च करते हैं, खास तौर से शादी के लिए। सोने के दाम 15,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के आसमान पर पहुंचे हुए हैं, ऐसे में आप विरासत में मिलने वाले जेवरात, सोने की पॉलिश वाले गहने और यहां तक कि चांदी के जेवर इस्तेमाल करने पर भी गौर कर सकते हैं। वास्तव में इस साल कई दूल्हा-दुल्हन ने सोने की ऊंची कीमत की वजह से नकली जेवरात से काम चलाने का फैसला किया। शाह ने यह सलाह भी दी कि बच्चों को तोहफों के तौर पर पैसा देने के बजाय उनके लिए निवेश करने पर विचार किया जा सकता है जो बढ़ेगा और छोटी अवधि के वित्तीय उद्देश्यों तक पहुंचने में उन्हें मदद देगा।

गृहनगर को तरजीह
जब बात समारोह स्थल की आए तो सरीद का कहना है कि मौजूदा हालात में आर्थिक समझदारी इसी में कही जाएगी कि आप शादी का आयोजन अपने देश या अपने ही गृहनगर में करें। इससे आपको अतीत में बने संपर्क से काम निकलवाने में आसानी होगी और परिवार के कुशल सदस्यों की मदद ले सकेंगे। हालांकि, होटल के कमरों का किराया और विमान यात्रा के टिकट काफी कम हो गए हैं, ऐसे में आप अन्य विकल्प भी खंगाल सकते हैं लेकिन ऐसा तभी संभव है जब आपके पास ऐसा करने का वक्त और उन्हें गौर से समझने की क्षमता हो। हालांकि, कई एनआरआई जो पहले भारत में शादी की योजना बना रहे थे अब अपने गृहनगरों में आयोजन कराने को तवज्जो दे रहे हैं जिससे खर्च में काफी कमी आती है। मंदी ने हमें सबक यह दिया है कि जो लोग खर्च करने की क्षमता रखते थे, उन्हें भी सतर्कता के साथ कदम उठाना सिखा दिया है।

खर्च पर वार
- आयोजन की संख्या तीन से चार तक सीमित रखें
- खर्च को बराबर बांटने की संभावना पर गौर करें
- ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन निमंत्रण पत्र भेजें
- सस्ती सजावट के लिए बाजार में विकल्प खंगालें
- पारिवारिक विरासत में मिले गहनें या आर्टिफिशियल ज्वैलरी इस्तेमाल करें
- दूसरे शहरों में जाकर शादी का आयोजन करने से बचें

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