वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति कर की देनदारी तय करने में व्यस्त हो जाता है। अगर आप एक ऐसे कर्मचारी हैं जिसे काम करने के साथ ही नौकरी के सिलसिले में विदेश भी जाना पड़ता है तो आपके लिए आयकर की गणना करना कुछ मुश्किल हो सकता है। इसके लिए आपको भारत और विदेश में हासिल आमदनी को अलग करना होगा। इसके साथ ही कर लाभ का फायदा उठाने के लिए आपको उन नियमों को भी जानना होगा जो ऐसे लोगों के लिए लागू होते हैं। ऐसे लोगों के लिए आयकर संबंधी नियमों के बारे में यहां जानकारी दी जा रही है।
अपने निवास की स्थिति देखें
आयकर के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण चीज आपके निवास की स्थिति होती है। अगर एक वित्त वर्ष में आप भारत में 182 दिन से कम रहते हैं तो भारत के आयकर कानून के तहत आपको प्रवासी भारतीय माना जाता है। यह जरूरी नहीं है कि विदेश में रहने की कुल अवधि के दौरान अगर भारत आएं हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार प्रवासी भारतीय बनने पर आप पिछले वर्ष में कोई आमदनी विदेश में हासिल करते हैं तो भारत में उस पर कर नहीं देना होता। पिछला वर्ष वह साल होता है जिसमें आमदनी पर कर दिया जाता है। यह असेसमेंट ईयर से पहले वाला वर्ष होता है। अगर आपने 1 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2009 के बीच आमदनी प्राप्त की है तो आपको 1 अप्रैल, 2009 से 31 मार्च 2010 तक के असेसमेंट ईयर के लिए 31 जून 2009 से पहले कर चुकाना होगा।
लेकिन अगर आपने बहुत पहले भारत छोड़ दिया था लेकिन नियमित तौर पर स्वदेश आते रहे हैं और पिछले चार वर्षों में अगर आप 365 दिन से अधिक भारत में रहे हैं तो आपको भारत का निवासी माना जाएगा और आपकी आमदनी पर यहां कर देना होगा। यह नियम उन लोगों पर लागू नहीं होता जो कि भारतीय जहाज के चालक दल के सदस्य या फिर भारत मूल के व्यक्ति हैं।
अन्स्र्ट एंड यंग की पार्टनर सोनू अय्यर के अनुसार, 'विदेश जाने वाले कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में उनका कुल प्रवास संबंधित वित्त वर्ष में 182 दिन से कम का हो। अगर उन्हें विदेश में रहने के दौरान भारत में वेतन मिल रहा है तो इसके लिए आयकर भी यहीं चुकाना होगा। अगर आपको विदेश में वेतन मिलता है और आप उसे भारत भेजते हैं तो उस पर कोई कर नहीं देना होगा।
अतिरिक्त भत्ता
ऐसा हो सकता है कि आप भारत के निवासी हों लेकिन कंपनी के काम से अक्सर विदेश जाते हों। इस मामले में आपको वेतन तो भारत में मिलता है लेकिन विदेश में खर्च के लिए आपको भत्ता दिया जाता है। इस भत्ते में कोई कर नहीं चुकाना होगा।
सामाजिक सुरक्षा करार
विदेश में नौकरी के प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले वेतन के ढांचे को जानना बहुत जरूरी होता है। ऐसा हो सकता है कि आपके वेतन का एक बड़ा भाग सामाजिक सुरक्षा फंड में जा रहा हो। जिस देश में आप काम कर रहे हैं उसके साथ भारत का सामाजिक सुरक्षा करार होना बेहतर रहता है। अय्यर के अनुसार जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के साथ भारत के सामाजिक सुरक्षा करार हैं। इनसे ऐसे भारतीय कर्मचारियों को फायदा होता है जो इन देशों में नौकरी के सिलसिले में जाते हैं।
कर लाभ का फायदा उठाएं
अगर आप भारत के नागरिक के तौर पर अपना कर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं और विदेश में हासिल आमदनी पर आपने संबंधित देश में कर चुकाया है तो आपको उस रकम पर भारत में कर नहीं देना होगा। इसके अलावा भारत के बहुत से देशों के साथ कर संबंधी करार हैं। लेकिन अगर दोहरी कर देनदारी से बचने के लिए धारा 90 के तहत ऐसा करार मौजूद नहीं है तो आप उस रकम पर कर लाभ का दावा कर सकते हैं जिस पर आपने विदेश में कर चुकाया है।
बहुत से लोग यह मान लेते हैं कि अगर उन्होंने भारत से बाहर धन कमाया है तो उस पर उन्हें यहां कर नहीं देना होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। आप उस स्थित में ही कर से बच सकते हैं जब आप प्रवासी भारतीय (एनआरआई) हों और आपने विदेश में धन कमाया हो।
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