Tuesday, April 14, 2009

घरेलु कंपनियों पर कायम है संस्थागत निवेशकों का भरोसा

बीमा कंपनियों की अगुवाई में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने देसी कंपनियों पर भरोसा बरकरार रखा है जबकि शेयर बाजारों में अच्छी रिकवरी के बावजूद विदेशी संस्थागत निवेशक और आम निवेशक बेहद सतर्कता से पीछे हट रहे हैं। यह बात 31 मार्च 2009 को खत्म तिमाही के लिए शेयरधारिता के आंकड़ों से साफ हुई है।
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, एमफैसिस, यूनियन बैंक, गेल, इंडिया सीमेंट्स और एक्साइड इंडस्ट्रीज ऐसी कंपनियों में शामिल हैं जिनमें शेयर विदेशी संस्थागत निवेशकों और आम निवेशकों के हाथ से बीमा फर्मों तथा म्यूचुअल फंड के पास पहुंच गए। बीमा कंपनियों, खासतौर से एलआईसी ने कई ब्लूचिप कंपनियों में अतिरिक्त शेयर खरीदकर बाजार को अच्छा सहारा दिया। इसके अलावा वित्त वर्ष के अंत में म्यूचुअल फंडों ने भी अच्छी खरीदारी की जिसकी एक वजह एनएवी आधारित खरीद भी थी।
मुंबई की रीटेल ब्रोकिंग फर्म सैटको सिक्योरिटीज एंड फाइनेंशियल सर्विसेज के सीईओ एस टी गेरेला ने कहा, 'म्यूचुअल फंड साल भर खरीदारी करते रहे क्योंकि समय-समय पर पेश की गई तमाम योजनाओं के जरिए उनके पास पर्याप्त नकदी है। उन्होंने 31 मार्च को करीब 1,000 करोड़ रुपए की खरीदारी की, जो हो सकता है कि एनएवी में उछाल और कर्मियों क बोनस देने के लिए की गई हो।
ब्रोकरों के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक पिछली तिमाही के अधिकांश हिस्से में बिकवाली करते रहे और मार्च के मध्य से उन्होंने चुनिंदा शेयरों में खरीदारी शुरू की। जनवरी-मार्च तिमाही में विदेशी निवेशकों ने 6,500 करोड़ रुपए की बिकवाली की। बहरहाल 17 मार्च से 26 मार्च 2009 के बीच उन्होंने 3,600 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी भी की।
जिन शेयरों में एफआईआई ने जोरदार बिकवाली की, उनमें से एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस में उनकी हिस्सेदारी 26.7 फीसदी से घटकर 21.6 फीसदी रह गई जबकि बीमा कंपनियों और म्यूचुअल फंडों की सामूहिक हिस्सेदारी 13.9 फीसदी से बढ़कर 18.5 फीसदी हो गई। इसमें आम निवेशकों की हिस्सेदारी 12.3 फीसदी से घटकर 12 फीसदी रह गई। इसी तरह एफआईआई ने एचडीएफसी बैंक में अपनी हिस्सेदारी 27.4 फीसदी से घटाकर 25.7 फीसदी कर दी। इसमें स्थानीय संस्थागत निवेशकों ने अपना हिस्सा 10.4 फीसदी से 13.7 फीसदी कर लिया जबकि आम निवेशकों का हिस्सा 11.2 फीसदी रह गया।
पिछली तिमाही में बाजार में काफी उथल-पुथल रही और यह इस दौरान 6 जनवरी 2009 को 10,336 अंक के स्तर से 9 मार्च को 8,160 अंक के निचले स्तर तक भी आया। इसके बाद 27 मार्च 2009 को यह 10,048 अंक पर भी गया। पिछले एक महीने में सेंसेक्स 2,000 अंकों से ज्यादा उछला जिससे ब्रोकरों में उम्मीद जगी कि आम निवेशकों का उत्साह बढ़ सकता है।
एक ब्रोकर ने कहा, 'पिछले दो सप्ताहों में हमारी ब्रोकरेज आमदनी दोगुनी हो गई है जिससे संकेत मिलता है कि बाजार में आम निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है।

1 comment:

  1. आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा। इसके अलावा आपके व्यक्तिगत विचार भी जो आपके जीवन से जुड़े हों, पढ़ने को मिले तो अच्छा लगेगा। आपके अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा।
    पंकज नारायण

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