Friday, April 24, 2009

रिकवरी एजेंट की गुंडागर्दी से ना हों परेशान,बैंकिंग लोकपाल लायेंगे आपके चेहरे पर मुस्कान

क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि वसूल करने के लिए बैंक का रिकवरी एजेंट अगर अगली बार हिंसक तरीके अपनाता है तो आप बैंकिंग लोकपाल का दरवाजा खटखटा सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वार्षिक नीति के दस्तावेज में कहा है कि जो बैंक, इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के नियमों और बैंकिंग कोड्स एंड स्टैंडड्र्स बोर्ड ऑफ इंडिया (बीसीएसबीआई) की बैंकों की प्रतिबद्धता से जुड़ी आचार संहिता का पालन नहीं करते, उनके खिलाफ ग्राहक शिकायत दर्ज करा सकते हैं। ये नियम बैंकिंग क्रियाकलापों के न्यूनतम मानक तय करते हैं जो बैंकों को ग्राहकों के साथ लेनदेन में अपनाने होते हैं ताकि एक पारदर्शी तंत्र सुनिश्चित किया जा सके।
बैंक ऑफ इंडिया के समर्थन वाले डेट काउंसलिंग सेंटर अभय के साथ बतौर काउंसलर जुड़े वी एन कुलकर्णी ने बताया, 'बैंकों को ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिए कमर कसनी होगी। उन्हें अपनी ग्राहक सेवा दुरुस्त करनी होगी।Ó महाराष्टï्र और गोवा की बैंकिंग लोकपाल प्रभारी सुरेखा मरांडी ने कहा, 'इसका उद्देश्य भारतीय बैंकिंग तंत्र में आम आदमी का विश्वास और भरोसा कायम कराना है।Ó
इन नियमों में कई तरह की सेवाओं का जिक्र है जिसमें खाते खोलने से लेकर अलग-अलग उत्पादों की कीमत और खर्च शामिल हैं। इसके अलावा बैंकिंग लोकपाल ने जमाकर्ताओं के लिए ब्याज दरों, न्यूनतम राशि रखने और अलग-अलग तरह के बैंक खातों पर लगने वाले विभिन्न शुल्कों पर भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। हालांकि, लोकपाल बैंकों के लोन जारी करने की प्रक्रिया में दखल नहीं देते क्योंकि बैंक ही यह तय करते हैं कि ग्राहक वित्तीय रूप से कितना स्वस्थ है। सुरेखा ने कहा, 'हम बैंकों की कामकाज से जुड़ी आजादी में दखल नहीं देते।Ó
चेक या ड्राफ्ट से भुगतान या कलेक्शन में देरी, वादे के मुताबिक सेवाएं मुहैया न कराने, बिना किसी वैध कारण के लिए डिपॉजिट खाता खोलने से इनकार करने या तय दिशानिर्देशों के मुताबिक काम न करने जैसी शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आती हैं। इन नियमों में टर्म डिपॉजिट की निर्धारित अवधि से पहले पैसा निकालने पर लगने वाली पेनल्टी, बिना न्यूनतम राशि के साधारण खाता उपलब्ध कराने, निष्क्रिय खातों की परिभाषा, स्थानीय और आउटस्टेशन चेक की क्लीयरिंग साइकिल, मुआवजे के साथ पैसे का अनाधिकृत इस्तेमाल के रिफंड जैसी अहम जानकारी का खुलासा करना शामिल है। अगर कोई ग्राहक इन आधार पर बैंक से कोई शिकायत रखता है तो उसे व्यक्तिगत और बैंक का ब्योरा मुहैया कराते हुए लोकपाल को चि_ïी लिखनी होगी। पत्र उसी क्षेत्र के बैंकिंग लोकपाल को भेजना होगा जिसमें बैंक स्थित है। इसके बाद लोकपाल इस शिकायत को बैंक को भेजता है।
आम तौर पर शिकायत का हल निकलने में 1 से 2 महीने का वक्त लगता है। शिकायत की प्रकृति और जटिलता के आधार पर कुछ मामले 2 महीने से ज्यादा वक्त तक खिंच जाते हैं लेकिन बैंकिंग लोकपाल लंबित शिकायतों की सूची पर बैंक के साथ बातचीत करता है। सुरेखा ने बताया कि कुछ जटिल मामलों को सुलझाने के लिए लोकपाल सुनवाई भी करता है।
जून 2004 में आरबीआई ने 11 बैंकों के साथ मिलकर बीसीएसबीआई का गठन किया गया था। इसकी नींव ब्रिटेन के बैंकिंग कोड स्टैंडड्र्स बोर्ड की तर्ज पर रखी गई थी जो ब्रिटिश बैंकर्स एसोसिएशन का स्वैच्छिक प्रयास था। इसका लक्ष्य ग्राहकों की सेवा से जुड़े मुद्दों से पैदा होने वाली वित्तीय मुश्किलों के वक्त उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना था।

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