बाजार में उछाल के संकेत मिल रहे हैं, ऐसे वक्त निवेशकों को पैसा लगाते वक्त कौन सी रणनीति पर अमल करना चाहिए?
लंबे इंतजार के बाद शेयर बाजार वापसी करते दिख रहे हैं। इंडेक्स में रफ्तार देखने को मिल रही है। बीते करीब डेढ़ महीने के दौरान घरेलू इक्विटी बाजारों में मजबूती रैली दर्ज की गई है। अर्थव्यवस्था की बढ़त दर में जान फूंकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अहम दरों में और कमी ले आया है। हालांकि, कंपनियों के नतीजे ज्यादा उत्साह नहीं बांध सके और निवेशक भ्रमित हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसे हालात में आपको क्या करना चाहिए? कुछ लोगों ने बाजार की इस तेजी को मंदी की रैली कहकर खारिज कर दिया है और उनकी दलील है कि यह जल्द ही गायब हो जाएगी। हालांकि, दूसरे कई लोग इसे तेजी के अगले दौर की शुरुआत मान रहे हैं। निवेशक दोबारा जोखिम ले रहे हैं और धीरे-धीरे इक्विटी में उनका भरोसा लौट रहा है।
इस वजह से निवेशक अजीबोगरीब हालात का सामना कर रहे हैं, खास तौर से वे लोग जो अब भी बाजार के निर्णायक कदम का इंतजार कर रहे थे। बाजार में मंदी के चलन से आमदनी की गुणवत्ता पर फोकस बढ़ता है। इन हालात में लार्ज कैप कंपनियों पर निगाह टिक गई हैं जो भारतीय कॉरपोरेट जगत में सर्वश्रेष्ठï मानी जाती हैं।
पावर सेक्टर में सार्वजनिक और निजी निवेश जारी है जो कैपिटल गुड्स में उत्पादन को मजबूती देने का काम कर रहा है। अतीत में इसके उलट चारों तरफ बढ़त देखने को मिल रही थी। हालांकि, राजकोषीय घाटा बढऩे और पूंजी खर्च में इजाफा होने की वजह से पावर सेक्टर में निवेश में कमी आने की आशंका जरूर जताई जा रही थी। अमेरिकी रिसर्च समूह इलियट वेव इंटरनेशनल का मानना है कि घरेलू बाजारों में हाल में आया उछाल लंबे वक्त तक जारी रहने वाली तेजी की शुरुआत है, जो 15 साल तक जारी रह सकती है। हालिया तेजी 9 मार्च से शुरू हुई और सेंसेक्स ने 2,500 अंकों से ज्यादा मजबूती देखी जो 30 फीसदी से भी ज्यादा है।
तकनीकी चार्ट के विश्लेषण पर आधारित एशिया प्रशांत बाजारों पर तैयार रिपोर्ट के मुताबिक इलियट वेव ने कहा है कि 'बाजार में तेजी की वापसीÓ के मजबूत संकेत मिले हैं। पिछले साल नवंबर के विश्लेषण में एलियट वेव ने कहा था कि सेंसेक्स ऐसी तेजी की ओर बढ़ सकता है जो 15 साल तक तक जारी रह सकती है। हालिया रिपोर्ट में इसी आकलन पर भरोसा जताते हुए वेव ने कहा है कि मालूम होता है कि बाजार अक्टूबर 2008 में गिरावट सोख चुका है। सेंसेक्स 10 जनवरी, 2008 को 21,207 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था और उसके बाद गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ जिसकी कड़ी में बाजार ने 27 अक्टूबर, 2008 को 7,697 का पाताल भी देखा।
निवेशक क्या करे?
मध्यम अवधि का रुझान पैदा होने और कम से कम दो सप्ताह तक जारी रहने से पहले लंबी अवधि के निवेश को टाला जाना चाहिए। हालांकि, मौजूदा पोर्टफोलियो से छेड़छाड़ में समझदारी नहीं है क्योंकि लंबी अवधि का चलन तेजी के संकेत दे रहा है। पोर्टफोलियो बनाने की प्रक्रिया में निचले स्तरों पर खरीदारी शामिल होनी चाहिए। लंबी अवधि में इससे सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे। निवेशकों को मौजूदा स्तरों पर खरीदारी कर और बाजारों से जल्द बाहर निकलकर अपने रिटर्न पर चोट नहीं करनी चाहिए।
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