अमेरिका में 401के रिटायरमेंट प्लान की तर्ज पर भारत भी सरकार की ओर से नियंत्रित पेंशन प्लान पेश करने के लिए कमर कस रहा है, ऐसे में निवेशकों को इसकी पेचीदगियां समझना बहुत जरूरी है।बीते कुछ वक्त से नई पेंशन योजना सुर्खियों में रही है। आखिरकार अमेरिका में 401के रिटायरमेंट प्लान की तर्ज पर भारत भी पेंशन प्लान पेश करने की तैयारियों में जुटा है, ऐसे में एनपीएस को लेकर देखा जा रहा उत्साह स्वाभाविक है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए यह योजना पहले से अस्तित्व में है और अब आम जनता के लिए 1 मई 2009 से पेश की जा रही है। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और ईपीएफ जैसे पारंपरिक रिटायरमेंट सॉल्यूशन से परे एनपीएस एक डिफाइंड बेनेफिट नहीं बल्कि डिफाइंड कंट्रीब्यूशन प्लान होगा। इसलिए पीपीएफ और ईपीएफ में निवेश में जहां ब्याज की तय दर लगती है वहीं एनपीएस से मिलने वाला रिटर्न बाजार तय करेगा, हालांकि यहां बाजार इक्विटी तक सीमित नहीं होगा और उसका दायरा कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूतियों तक फैला होगा। इन पेपर में किया जाने वाला निवेश फंड मैनेजरों की ओर से सक्रिय रूप से प्रबंधित होगा। पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने इस उद्देश्य के लिए छह संपदा प्रबंधन कंपनियां चुनी हैं।
क्या एनपीएस किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की तरह होगी?
एनपीए का जिम्मा फंड हाउस संभालेंगे लेकिन अधिकार पीएफआरडीए के पास रहेंगे। एसेट मैनेजमेंट कंपनियां एनपीएस के लिए निवेश के फैसले लेंगी लेकिन उनके कामकाज से जुड़ी आजादी वक्त-वक्त पर पीएफआरडीए की ओर से जारी होने वाली दिशानिर्देशों के मुताबिक रहेगी। एनपीएस लोगों को 58 साल की रिटायरमेंट की उम्र तक अपने साथ रखेगी। मौजूदा दिशानिर्देश एनपीएस में निवेश से तय वक्त से पहले बाहर निकलने और या उस पर किसी भी तरह का लोन लेने की इजाजत नहीं देते।
निवेश के ढांचे और फंड हाउस के चुनाव को लेकर फैसला करने की जिम्मेदारी निवेशक पर छोड़ी गई है। निवेशक अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूति का सही मिश्रण चुन सकेगा। इसके अलावा विकल्प के तौर पर निवेशक ऑटो ऑप्शन भी चुन सकेगा जिसके तहत एनपीएस में उसका निवेश 15 फीसदी इक्विटी, 45 फीसदी कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी प्रतिभूति (40 फीसदी) में बंट जाएगा। ऑटोमेटिक आवंटन के मामले में समूचा निवेश पहले साल सभी छह फंड मैनेजर के बीच बराबर बांट दिया जाएगा। दूसरे साल से हालांकि आवंटन पहले साल के प्रदर्शन के आधार पर तय होगा।
खर्च के ढांचे के मोर्चे पर एनपीएस को म्यूचुअल फंड स्कीम से अलग देखा जा सकता है। एक म्यूचुअल फंड स्कीम करीब 2.25 फीसदी का एंट्री लोड वसूलती है और 1.5 फीसदी औसत मैनेजमेंट चार्ज भी लिया जाता है वहीं एनपीएस में 0.0009 फीसदी की न्यूनतम फीस चुकानी होती है।
एनपीएस में सभी रिकॉर्ड रखने की जरूरत होगी और यह काम एनएसडीएल करेगा जो सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी की भूमिका में होगा।
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