Wednesday, February 18, 2009

दूसरे बैंक से लोन लेकर उठाएं कम व्याज दरों का फायदा

क्या आप कम ब्याज दरों का फायदा उठाने के लिए मौजूदा बैंक के बजाए किसी दूसरे संस्थान से लोन लेना चाहते हैं। इस दिशा में कदम बढ़ाने से पहले इससे जुड़े तौर-तरीकों के बारे में जानना बेहतर रहता है। उस वक्त क्या होता है जब किसी शख्स के साथ आपका रिश्ता सही राह में आगे नहीं बढ़ता? ऐसे हालात में आपके पास दो विकल्प होते हैं या तो आप मिल-बैठ कर उसके साथ तमाम मतभेद दूर करते हैं या फिर उससे दूर चले जाते हैं। जब आप किसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से लोन लेते हैं तो उसके साथ आपका रिश्ता भी कुछ इसी तरह का होता है और रिफाइनेंसिंग (या बकाया राशि का हस्तांतरण) रिश्ते से बाहर निकलने की तरह है जिसके बाद आप दूसरे संस्थान का दामन थाम सकते हैं। यह कुछ अपनी गलतियों को दूर करने के लिए दूसरी जिंदगी मिलने की तरह है। इसलिए अगर आपने होम लोन लिया है और आपको लगता है कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी चुनते वक्त आपने गलती की है तो यह अपनी भूल दूर करने का नायाब मौका है। हम आपको रिफाइनेंसिंग की सभी पहलुओं से जुड़ी जानकारी मुहैया करा रहे हैं ।
कैसे करें फैसला
वित्तीय योजनाकारों के मुताबिक रिफाइनेंसिंग अच्छे और बुरे, दोनों तरह के वक्त में कराया जा सकता है। इसलिए यह मायने नहीं रखता कि ब्याज दरें और रियल एस्टेट की कीमतें बढ़ रही हैं या गिरावट का सामना कर रही हैं। जब आप मकान खरीदने के लिए रिफाइनेंस का सहारा लेते हैं तो उसके लिए नया लोन लेना पड़ता है और उसी का इस्तेमाल आप मौजूदा कर्ज को चुकाने के लिए करते हैं। इसलिए रिफाइनेंस का विकल्प निम्नलिखित स्थितियों में अपनाया जाता है:

पहली स्थिति: आप कम ब्याज दर पर नया लोन लेते हैं जिससे ब्याज का भुगतान घट जाता है।
दूसरी स्थिति: आप लोन का मासिक भुगतान घटाना चाहते हैं। आप मौजूदा होम लोन के बजाए लंबी अवधि के लिए नया कर्ज लेते हैं।
तीसरी स्थिति: आप लोन की कुछ मियाद गुजरने के बाद ब्याज का कुल खर्च कम करना चाहते हैं और लोन जल्द से जल्द चुकाना चाहते हैं। इसलिए आप मौजूदा लोन के मुकाबले छोटी अवधि का नया लोन लेने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
चौथी स्थिति: आप वैरिएबल रेट के लोन के बजाए फिक्स्ड रेट लोन चाहते हैं।
पांचवीं स्थिति: आपको नकदी की जरूरत है। आप मौजूदा लोन की बकाया राशि से ज्यादा रकम का नया होम लोन लेते हैं। रियल एस्टेट की वैल्यू बढऩे या मौजूदा लोन का अच्छा-खासा अंश चुकाने की वजह से ज्यादा बड़ा लोन मिलना संभव है। मसलन, अगर आपका मकान दो लाख रुपए का है और आपको 1,30,000 बतौर लोन चुकाना है तो आप 1,50,000 कर्ज ले सकते हैं और उसमें से 20,000 रुपए अपने साथ ले जा सकते हैं। अन्स्र्ट एंड यंग इंडिया में पार्टनर-टैक्स एंड रेगुलेटरी सर्विसेज अमिताभ सिंह रिफाइनेंसिंग के बारे में कहते हैं, 'यह केवल मौका नहीं बल्कि एक जीवनरेखा भी है।

रिफाइनेंस में बरतें सतर्कता

पर्सनल फाइनेंस जानकारों की सलाह है कि रिफाइनेंसिंग से जुड़े किसी भी सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सभी दस्तावेजों को संजीदगी से पढऩा बहुत जरूरी है। अगर आपके मन में कोई भी संदेह है तो ऐसा कर आप कोई भी सवाल पूछ सकते हैं या अपनी चिंता का इजहार कर सकते हैं। सिंह का कहना है, 'इससे सौदा खत्म होने पर सामने आने वाले छिपे हुए खर्च से जुड़ा जोखिम खत्म किया जा सकता है। इसे अलावा आप इस बात का ब्रेकइवन विश्लेषण भी कर सकते हैं कि आप कितना पैसा बचा सकते हैं और रिफाइनेंस में कितना खर्च आएगा। उनके मुताबिक क्लोजिंग फीस के अलावा बैंक सामान्य तौर पर एप्लिकेशन फीस, प्रोसेसिंग फीस, अप्रेजल फीस, लोन ओरिजिनेशन और नए टाइटल से जुड़ा शुल्क वसूलते हैं जिनके बारे में आप पूछताछ भी कर सकते हैं। क्लोजिंग फीस रिफाइनेंस के खर्च का बड़ा हिस्सा है। आपको छपी हुई लोन दरों पर भरोसा कर होमवर्क खत्म नहीं करना चाहिए। अंत में आपको जिस दर से रकम चुकानी होगी, वह कई बातों पर निर्भर करती हैं जिसमें लोन की रकम और क्रेडिट स्कोर भी शामिल है। फाइनेंशियल प्लानरों का कहना है कि अगर आप लोन से जुड़ी बारीक जानकारी रखते हैं तो यही गूढ़ दिखने वाली प्रक्रिया काफी आसान हो जाती है। सिंह ने बताया, 'आप जितना सटीक उद्देश्य रखेंगे, कर्ज देने वाले के लिए सर्वश्रेष्ठ दर की पेशकश में उतनी ही आसानी होगी। इसका जवाब कई बातों पर निर्भर करता है जिसमें यह भी शामिल होगा कि आप कब मकान खरीदने की योजना बना रहे हैं और कितना जल्द अपने कर्ज से मुक्त होना चाहते हैं।

सतर्कता की जरूरत:
अगर आपने होम लोन बीमा कवर लिया है तो आपको उस पर रिफाइनेंसिंग के असर का विश्लेषण भी करना चाहिए। यह सुनिश्चित कीजिए कि खरीदने से पहले लोन शॉपिंग जरूर करें। रिफाइनेंसिंग पर लगने वाले शुल्कों का ढांचा पता करने के लिए बैंकों से संपर्क अवश्य कीजिए और अंत में सबसे ज्यादा जरूरी है एक ईमानदार और सेवा को तरजीह देने वाला बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनी तलाशना। सिंह ने कहा, 'सही संस्था से सौदा करने से लोन लेने का आपका अनुभव कहीं ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इससे आप काफी पैसा और वक्त बचा सकते हैं।

नकदी की चिंता
अगर आप अपने होम लोन के लिए प्री पेमेंट करने पर विचार कर रहे हैं तो फाइनेंशियल प्लानर सलाह देते हैं कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके पास पर्याप्त नकदी और आपातकालीन फंड (कम से कम छह महीने की आमदनी) हो ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से उबरने में आपको ज्यादा मुश्किल न हो। सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मुकेश गुप्ता ने कहा, 'अगर आपके पास अतिरिक्त नकदी है तो भी तब प्रीपेमेंट न करें, जब आपने फिक्स्ड दर पर होम लोन लिया हुआ है और उसकी दर मौजूदा ब्याज से कम हो। दूसरा, अगर आपको आय कर अधिनियम की धारा 80सी के तहत होम लोन पर अच्छा-खासा अतिरिक्त कर छूट का फायदा मिल रहा है तो भी प्रीपेमेंट की जरूरत नहीं है। इसके अलावा अगर आपने ज्वाइंट होम लोन लिया है तो फाइनेंशियल प्लानर का कहना है कि इस बात का ध्यान जरूर रखिए कि बैंक खाते से अलग-अलग समान अनुपात में मासिक किस्तों का भुगतान किया जाए। ऐसा न होने पर आय कर अधिकारी क्लेम की गई छूट को नामंजूर कर सकता है।

केस अध्ययन
x ने वाई बैंक से 20,00,000 रुपए का होम लोन 10 वर्ष के लिए 12 फीसदी की ब्याज दर पर लिया है। उसकी मासिक किस्त (ईएमआई) 28,694 रुपए होगी और लोन की पूरी अवधि के दौरान उन्हें 14,43,302 रुपए ब्याज देना होगा। दो वर्ष के बाद एक्स की स्थिति इस प्रकार होगी:

बैंक को कुल भुगतान
28,694 रुपए 3 24 = 6,88,656 रुपए।
इस रकम में मूल धन का हिस्सा: 2,34,512 रुपए
ब्याज का हिस्सा: 4,54,144 रुपए।
दो वर्ष के बाद बकाया मूलधन: 20,00,000 रुपए - 2,34,512 रुपए = 17,65,488 रुपए।
एक्स अब 17,65,488 रुपए का नया कर्ज जेड बैंक से लेकर वाई बैंक को बकाया कर्ज चुकाने का फैसला करते हैं। यह लोन आठ वर्ष के लिए 10 फीसदी की ब्याज दर पर होगा। उनकी नई ईएमआई 26,790 रुपए की होगी और वह लोन की कुल अवधि में 8,06,333 रुपए का ब्याज चुकाएंगे। इस रिफाइनेंसिंग से एक्स को 1,82,855 रुपए के ब्याज की बचत होगी।

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