जितनी गाड़ी चलेगी, उतना ही इंश्योरेंस प्रीमियम लगेगा
कई बीमा कंपनियां ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस तरह की पॉलिसी लाने की तैयारी में लगी हुई हैं।
आप भले ही अपनी कार कभी-कभार घर से निकालते हों, लेकिन इसके बीमे के लिए उतना ही प्रीमियम चुकाना पड़ता है, जितना रोज कार ड्राइव करने वाले लोगों को। आप भले ही बीमा कंपनियों की इस नीति को पसंद न करते हों, लेकिन यह आपकी मजबूरी है। अब यह स्थिति बदल सकती है। बढ़ती प्रतियोगिता के मद्देनजर बीमा कंपनियां अपनी पॉलिसी को 'जरा हट के अंदाज देना चाहती हैं। अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे बाजारों में पे-एज-यू-ड्राइव (पेडी) के आधार पर मोटर इंश्योरेंस की दरें तय की जाती हैं। अब भारतीय मोटर इंश्योरेंस बाजार में भी यह चलन आना तय लग रहा है। नाम से जाहिर है इसमें बीमा उत्पाद आपके इस्तेमाल के आधार पर होगा। यह प्री-पेड मोबाइल कनेक्शन जैसा होता है। इस बीमा उत्पाद को लेने वाले ग्राहकों से प्रीमियम का अग्रिम भुगतान करने के साथ ही यह भी बताना होगा कि वह पॉलिसी की अवधि में गाड़ी को कितने किलोमीटर तक चलाने की उम्मीद रखते हैं। यह अवधि एक वर्ष की होगी। अगर ग्राहक पहले से बताए गए किलोमीटर तक गाड़ी चला लेता है तो उसके पास अतिरिक्त प्रीमियम देकर कुछ और बीमा सुरक्षा लेने का विकल्प होगा और अगर वह पॉलिसी की अवधि में कम दूरी तय करता है तो उसे अतिरिक्त प्रीमियम लौटा दिया जाएगा। एचडीएफसी-एरगो जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और सीईओ, रितेश कुमार ने बताया, 'हम बहुत से एड-ऑन कवर पर काम कर रहे हैं। एड-ऑन अतिरिक्त बीमा होता है, जिसे मूल प्रीमियम पर कुछ अतिरिक्त प्रीमियम चुकाकर लिया जा सकता है। इसमें बीमा कंपनी अपने ग्राहकों से यह जानकारी लेगी कि वे एक वर्ष में अपने वाहन से कितनी दूरी तय करने की उम्मीद रखते हैं। प्रीमियम इस दूरी के अनुसार तय किया जाएगा। कंपनियां ग्राहक के वाहन में एक ब्लैक बॉक्स जैसा छोटा गैजेट लगाएंगी, जिससे यह पता चलेगा कि गाड़ी कितनी दूर चली है। एचडीएफसी-एरगो के चीफ अंडरराइटिंग ऑफिसर, रिचर्ड वुल्फ के अनुसार, 'एक वर्ष के बाद अगर ग्राहक ने ज्यादा दूरी तय की होगी तो उसे अतिरिक्त प्रीमियम चुकाने के लिए कहा जाएगा। अगर उसने वाहन कम चलाया होगा तो उसे अतिरिक्त प्रीमियम रिफंड कर दिया जाएगा। अगर पॉलिसी की अवधि में कोई दुर्घटना होती है तो बीमा कंपनी मरम्मत के खर्च का भुगतान करेगी। ऐसी पॉलिसी पर एचडीएफसी-एरगो के अलावा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और बजाज आलियांज जैसी कंपनियां भी विचार कर रही हैं। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के प्रमुख (मोटर इंश्योरेंस), एन ईश्वरनटराजन ने बताया, 'अमेरिका में ऐसा एक उत्पाद काफी लोकप्रिय है और हम उसका आकलन कर रहे हैं। इसमें प्रत्येक कार में एक ग्लोबल पोजिशनिंग रेडियो सिस्टम लगा होता है जो बहुत से आंकड़े भेजता है। ये आंकड़े औसत स्पीड, उन सड़कों की स्थिति जिन पर गाड़ी चल रही हो और ड्राइविंग के तरीके के बारे में बताते हैं। पे-एज-यू-ड्राइव व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर मिलीजुली सफलता मिली है। अमेरिका में जहां इसे काफी पसंद किया जाता है, वहीं ब्रिटेन की सबसे बड़ी बीमा कंपनी नॉरविच यूनियन ने ग्राहकों के ज्यादा रुचि न लेने की वजह से पिछले वर्ष इस पॉलिसी को खत्म कर दिया था। जिन ग्राहकों ने यह पॉलिसी ली थी उनकी कार में लगा गैजेट सेटेलाइट तकनीक का इस्तेमाल कर लगातार इस बारे में आंकड़े भेजता रहता था कि वह कहां और कब वाहन चला रहे हैं। कुछ ग्राहकों को यह उनके निजी जीवन में हस्तक्षेप जैसा लगा और उन्होंने इसे लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।
भारत में बीमा उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि देश में ऐसी पॉलिसियां लॉन्च करने के लिए कानूनी बाधाओं को भी पार करना होगा। इसके अलावा कुछ और व्यावहारिक दिक्कतें भी सामने आ सकती हैं। बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख (मोटर इंश्योरेंस), विजय कुमार का कहना है, 'भारत में दो समस्याएं प्रमुख हैं। पहला हमारा बाजार अभी मैच्योर नहीं है और यह बीमा की शुरुआत में वाहन की माइलेज जांचने के साथ ही बाद में इसकी निगरानी करने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा कुछ लोकप्रिय कार मॉडलों के दाम पहले ही कम हैं। हम इन समस्याओं का समाधान खोजने में जुटे हैं। इसके बाद ही इस पॉलिसी को लेकर कोई फैसला किया जाएगा।
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