Tuesday, November 10, 2009

कॉरपोरेट जगत में महिलाओं का जलवा

भारत में महिलाएं अब परंपरागत चोले से बाहर निकल रही हैं। चूल्हा-चौका और बच्चों की देखभाल एवं पति की सेवा के अलावा अब महिलाओं की जिंदगी में नौकरी और कारोबार भी शामिल हो गया है। वह दिन अब बीत गए जब महिलाओं को बाहर की दुनिया में दखल दने के मामले में अनुभव के आधार पर बाहर कर दिया जाता था। अब तो महत्वपूर्ण कारोबारी रणनीति बनाने में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे अहम है।
इस साल भारतीय मूल की इंदिरा नूयी को दुनिया 50 शीर्ष कारोबारी महिलाओं की सूची में पहला स्थान दिया गया है। फाइनेंशियल टाइम्स की इस सूची में ब्रिटानिया की विनीता बाली और बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ भी शामिल हैं। पेप्सिको की मुखिया नूयी पहले, बाली 22वें और मजूमदार शॉ 47वें स्थान पर हैं। फाइनेंशियल टाइम्स ने यह सूची 'कारोबारी दुनिया की 50 शीर्ष महिलाएंÓ के नाम से तैयार की है। भारतीय मूल की पद्मश्री वारियर को भी इस सूची में जगह मिली है। पद्मश्री सिस्को में मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी हैं।
नूयी के बाद दूसरे स्थान पर अमेरिकी कंपनी एवन प्रोडक्ट्स की एंदिया जुंग तथा तीसरे स्थान पर फ्रांस की अरेवा कंपनी की प्रमुख एनी लावर्जिअन का नाम है। फाइनेंशियल टाइम्स ने इन उपलब्धियों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा है, 'फॉच्र्यून 500 की सूची की कंपनियों में केवल तीन प्रतिशत मुख्य कार्यकारी महिलाएं शामिल की गई हैं। बड़ी कंपनियों के निदेशकों में महिलाओं का हिस्सा केवल तीन फीसदी है और एशिया में यह अनुपात और भी कम है। नॉर्वे की स्थिति भिन्न है क्योंकि वहां बोर्ड में महिलाओं का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व जरूरी है।Ó अखबार की राय में महिलाओं का बेहतर प्रतिनिधित्व कंपनी के कारोबार पर अनुकूल प्रभाव डालता है।
50 शीर्ष कारोबारी महिलाओं की इस सूची में यूबीएस इंडिया की मुख्य कार्यकारी मनीषा ग्रियोर्त्रा, एचएसबीसी इंडिया की प्रमुख नैना लाल किदवई और हेवलेट पैकर्ड इंडिया की प्रबंध निदेशिका नीलम धवन भी शामिल हैं।
सीआईआई द्वारा हाल में न्यूयार्क में आयोजित एक कैंपेन में महिला और अंतरराष्टï्रीय नेतृत्व विषय पर एक संगोष्ठïी का आयोजन किया गया। इसमें मशहूर फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी, पेप्सिको की इंदिरा नूयी, एचएसबीसी इंडिया की नैना लाल किदवई और अक्षरा फाउंडेशन की चयरपर्सन रोहिणी नीलेकणी शामिल हुईं। बातचीत में चारों महिलाओं ने भारतीय समाज एवं कॉरपोरेट जगत में महिलाओं के सशक्तिकरण पर चर्चा की। दिलचस्प तथ्य यह है कि इन चारों महिलाओं ने भी अपने क्षेत्र में बुलंदियां हासिल की हैं।
बातचीत में शामिल महिलाओं ने भारतीय कारोबारी जगत में उद्यमी या पेशेवर के रूप में महिलाओं की भागीदारी बढऩे पर खुशी जाहिर की और उम्मीद जाहिर की कि आगे निर्णय लेने वाले महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं को प्राथमिकता देने में उदार रुख अपनाया जाएगा। बातचीत में भारतीय कॉरपोरेट में महिलाओं की स्थिति पर भी चर्चा की गई।
सबसे मजेदार बात यह रही कि बैठक में महिलाओं ने एक सुर में कहा, 'जब महिलाएं इस कमरे में प्रवेश करें तो पुरुष सदस्यों को ताली बजानी चाहिए।Ó यह संबोधन दरअसल किसी घमंड की वजह से नहीं, बल्कि महिलाओं के बढ़ते प्रभाव की वजह से किया गया। बातचीत में शामिल पैनल ने भारत में उदारीकरण के बाद से महिलाओं की सामाजिक एवं कारोबारी जिम्मेदारियों और उनके सामाजिक उत्थान के बारे में चर्चा की गई। भारत के विकास में पिछले दो दशक में महिलाओं के योगदान की जमकर तारीफ की गई और कहा गया कि महिलाओं ने तमाम चुनौतियों का सामना करने के बावजूद देश के विकास की रफ्तार नहीं थमने दी।
किदवई ने भारत के कॉरपोरेट जगत में महिलाओं के बढ़ते हैसियत के बारे में बताया कि समाज अब महिलाओं को उनका हक देने के लिए तैयार है और महिलाएं भी इस अवसर को भुनाने के लिए आगे आ रही हैं। हाल में ही सीएलएसए की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए किदवई ने बताया कि भारत में 80 फीसदी कामकाजी पुरुष चाहते हैं कि उन्हें काम करने वाली पत्नी चाहिए। उन्होंने कहा, 'इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत में पुरुष अब महिलाओं को आर्थिक आजादी एवं काम करने की स्वतंत्रता देने के लिए तैयार हैं। शहरी मध्य आय वर्ग के लोगों की मानसिकता में बड़ा बदलाव दर्ज किया गया है और अब महिलाएं अपने घर को मदद करने के लिए काम कर रही हैं।Ó इससे जहां एक ओर उनकी सामाजिक-आर्थिक हालत में बदलाव आया है, वहीं ज्ञान एवं पेशेवर शिक्षा के मामले में वे जागरूक बनी हैं।
पेप्सिको की प्रमुख नूयी ने बताया कि उनकी जिंदगी में पहला स्थान बच्चों की मां के रूप में है, दूसरा कंपनी के सीईओ का और तीसरा पत्नी का। भारत घूमने आई नूयी की बेटी के अनुभव कुछ अधिक मजेदार रहे। नूयी ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को चेन्नई में शॉर्ट स्कर्ट या टैंक टॉप्स पहनने से मना किया था और कहा था कि सिर्फ कमीज सलवार ही पहनना है। बाद में नूयी की बेटी ने फोन पर बताया, 'मां मैं यहां एक पुरातनपंथी लड़की की तरह लगती हूं। आपने मुझे जिन कपड़ों से परहेज करने को कहा है, बाकी लड़कियां वही पहनती हैं।Ó नूयी ने कहा कि पेप्सिको के प्रमुख पद पर पहुंचने के बाद उन्होंने महसूस किया कि बहुराष्टï्रीय कंपनियों ने वास्तव में भारत में ऐसा माहौल तैयार किया है जिससे महिलाओं को निर्णय लेने वाले पद पर नियुक्त किया जा सके। उन्होंने भारतीय कंपनियों से अनुरोध किया, 'अपने संस्थान में महिलाओं को जिम्मेदारी दें और फिर इसके परिणाम को ध्यान में रखते हुए कंपनी की कार्यरणनीति तय करें।Ó
शबाना आजमी ने बैठक में कहा कि कला, साहित्य एवं फिल्मों में महिलाओं की भूमिका 40 और 50 के दशक के शुरू हुई। महिलाओं को लीड रोल में रखकर उस दौरान हालांकि कम ही भूमिका तैयार की जाती थी, लेकिन बाद में इसमें बड़ा बदलाव दर्ज किया गया। उन्होंने कहा, 'दस साल पहले यह सोचना बड़ा मुश्किल था कि तीस साल से अधिक उम्र की महिलाओं को फिल्मों में काम मिल सकता है, लेकिन आज स्थिति ऐसी नहीं है।Ó
पूर्व पत्रकार और इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकणी की पत्नी रोहिणी सामजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी कर रही हैं। इन संस्थानों की स्थापना के बारे में उन्होंने बताया, जब मुझे लगा कि मेरे पास थोड़े पैसे जमा हो गए हैं तो मैंने तीन संस्थानों की नींव रखने की सोची। यह कुछ और नहीं, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की कोशिश भर है। करीब 14 लाख महिलाओं को अपने कार्यक्रम में शामिल करने का लक्ष्य बनाकर रोहिणी समाज में एक उम्मीद की किरण जगा रही हैं।
ये लड़कियां अब अपने पिता का दाहिना हाथ बनने की ओर अग्रसर हैं। प्रबंधन की डिग्री हाथ में ले भरपूर आत्मविश्वास से लबरेज होकर ये आगे बढ़ी हैं। कम से कम 20 ऐसी महिलाएं अब परंपरागत भारतीय कारोबार की तस्वीर बदल देना चाहती हैं। आईटी अरबपति शिव नादर की बेटी रोशनी नादर से लेकर टीवीएस सुप्रीमो वेणु श्रीनिवासन की 26 साल की पुत्री लक्ष्मी वेणु तक, इंडिया इंक में बेटियों की नई फौज मोर्चा संभालने के लिए तैयार है।
अब वे दिन बीत गए जब परंपरागत कारोबार में पिता की जगह उत्तराधिकार के लिए बेटे को सजी-सजाई दुकान मिलती थी। 5,000 करोड़ रुपए के स्पाइस ग्रुप के चेयरमैन बी के मोदी कहते हैं, 'शिक्षा इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण वजह है।Ó मोदी की पुत्री दिव्या मोदी की स्पाइस ग्लोबल में 24 फीसदी हिस्सेदारी है और वे स्पाइस कॉर्प की ग्लोबल निदेशक (फाइनेंस) हैं। दिव्या कहती हैं, 'साल 2006 में मैंने फैसला किया कि अब समूह में पूर्णकालिक काम करना शुरू कर देना चाहिए। इसके बाद मैं पेशेवर प्रशिक्षण के लिए वापस विश्वविद्यालय गई और आगे की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद मैं समूह में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए तैयार हो पाई।Ó
इस साल अप्रैल में 27 साल की रोशनी नादर ने एचसीएल के चीफ एग्जीक्यूटिव के रूप में काम शुरू किया। एचसीएल एक होल्डिंग कंपनी है जिसकी एचसीएल इंफोसिस्टम्स और एचसीएल टेक नाम की दो फ्लैगशिप कंपनियां हैं। केलॉग बिजनेस स्कूल से एमबीए कर चुकी रोशनी इस समय शिव नादर फाउंडेशन का कामकाज देख रही हैं। उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि नादर इस समय अपनी बेटी को समूह की पूर्ण जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार कर रहे हैं
चेन्नई के उद्योगपति अभिभावक वेणु श्रीनिवासन और मल्लिका श्रीनिवासन की पुत्री लक्ष्मी वेणु भी पिता के पदचिह्नïों पर चलने के लिए तैयार हैं। लक्ष्मी जल्द ही टीवीएस की होल्डिंग कंपनी सुंदरम क्लेटॉन ज्वाइन करने वाली हैं। उम्मीद है कि लक्ष्मी बिजनेस स्टे्रटेजी और कॉरपोरेट फाइनेंस पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
इस सीरीज में एक नाम 28 साल की देविका सराफ का भी है। देविका जेनिथ की निदेशक हैं और वू टेक की सीईओ हैं। देविका कहती हैं कि उन्होंने 16 साल की उम्र से जेनिथ में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। वह कहती हैं, 'अगर आप युवा हों और खासकर लड़की हों, तो आपको सलाह देने के लिए बहुत से लोग उपलब्ध रहते हैं। आपको अपने कारोबार में विभिन्न लोगों से मिलना, उनकी बातों को सुनना और अपने विवेक से फैसला लेना पड़ता है। एकबार जब आप अपने विजन पर भरोसा करते हैं और नेतृत्व पर कायम होते हैं तो लोग आपकी बात सुनने लगते हैं।Ó 24 साल की उम्र में देविका ने डिस्प्ले बिजनेस के लिए वू टेक की शुरुआत की और करीब तीन साल में उसे लग्जरी ब्रांड बना दिया।
ल्यूपिन फार्मा के चेयरमैन देशबंधु गुप्ता की बेटी विनीता गुप्ता भी उत्तराधिकार की इस सीरीज को आगे बढ़ाने में जुटी हैं। साल 1990 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में ल्यूपिन ज्वाइन करने वाली विनीता अब ग्रुप प्रेसिडेंट और ल्यूपिन फार्मा की सीईओ हैं।
जब साल 2004 में ल्यूपिन ने अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में विस्तार की रणनीति बनाई तो विनीता को इसकी जिम्मेदारी दी गई। इस राह में चुनौतियां काफी थीं, लेकिन आज ल्यूपिन अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ता ब्रांड है। इसके अलावा ल्यूपिन ने यूरोपीय बाजारों में साल 2006 में प्रवेश किया और आज वह साल दर साल आधार पर दोगुना कारोबार कर रही है।

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