निवेशक ऑप्शंस में ट्रेडिंग रणनीति को बना रहे है अपना अपना अधिकार
जानकार निवेशक आम चुनाव के नतीजे और मार्च तिमाही के कंपनियों के परिणाम आने से पहले बाजार के संभावित उतार-चढ़ाव का लाभ उठाने की तैयारी में हैं। इनमें अधिकतर विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) हैं जो शेयरों के ऑप्शंस के जरिए उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने की रणनीति बना रहे हैं। बाजार में जितना अधिक उतार-चढ़ाव होगा, उन्हें उतना ही अधिक फायदा होगा।
ऑप्शंस के इंप्लायड वोलैटिलिटी इंडेक्स (आईवी) में आने वाले महीनों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसकी वजह यह है कि बाजार में गिरावट से अपना बचाव करने के लिए निवेशकों के अधिक पुट ऑप्शंस की खरीदारी करने की संभावना है। इंप्लायड वोलैटिलिटी इंडेक्स से भविष्य में बाजार में उतार-चढ़ाव की संभावनाओं का पता चलता है। अगर मार्च में खत्म तिमाही के कंपनियों और आम चुनाव के नतीजे अनुकूल नहीं आते हैं तो बाजार में तेज गिरावट देखी जा सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक पुट ऑप्शंस के लिए ज्यादा प्रीमियम को तैयार होंगे, जिससे इंप्लायड वोलैटिलिटी इंडेक्स में बढ़ोतरी होगी।
एंटिक के एक अधिकारी ने बताया, 'मौजूदा अनिश्चित माहौल में हेज की मांग के चलते आईवी में बढ़ोतरी की संभावना है। जानकारों के मुताबिक 2004 में पिछले आम चुनाव के दौरान आईवी बढ़कर 65-70 तक चला गया था। गुरुवार ०९ अप्रैल को घरेलू बाजार का आईवी 43.54 पर था। यह 25 मार्च को 28.18 के साल के सबसे निचले स्तर से काफी अधिक है। विश्लेषकों का कहना है कि एक महीने में बेंचमार्क सूचकांकों में 25 फीसदी की बढ़त के आने के चलते पुट ऑप्शंस अधिक होने के चलते आईवी में बढ़ोतरी हुई है। यह इंडेक्स बाजार में तेजी रहने पर नीचे जाता है और बाजार में सेंटीमेंट कमजोर रहने पर पर ऊपर जाता है।
पुट ऑप्शंस में खरीदारी जारी रहने की संभावना है, जिससे आईवी में और बढ़ोतरी होगी। एफआईआई इस तरह के मौके का फायदा उठाने की कोशिश में हैं। ऑप्शंस में ट्रेडिंग रणनीति के जरिए वे इस मौके का लाभ उठाना चाहते हैं। इसके लिए वे दो तरह के ऑप्शंस पोजीशन-स्ट्रैडल और स्ट्रैंगल का इस्तेमाल करेंगे। ऑप्शंस ट्रेडिंग की इस रणनीति के तहत आईवी चढ़ेगा या गिरेगा, इस पर दांव लगाया जाता है। उदाहरण के लिए जब कोई निवेशक स्ट्रैडल खरीदता है तो वह एक ही इंडेक्स या शेयरों का कॉल और पुट दोनों खरीद लेता है। वह एक समान स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी वाले कॉल और पुट खरीदता है। उसे बाजार में उतार-चढ़ाव बढऩे की उम्मीद होती है। इस रणनीति के जरिए वह शेयरों के दोनों ही दिशाओं में जाने पर सट्टा लगा रहा होता है। विश्लेषकों का कहना है कि मन-मुताबिक नतीजे हासिल करने के लिए रणनीति बनाते समय ऑप्शंस में कीमतों की गड़बड़ी को फ्यूचर्स के इस्तेमाल से ठीक कर लिया जाता है।
लॉन्ग स्ट्रैडल और स्ट्रैडल के काउंटर पार्टी इनवेस्टर वैसे इनवेस्टर और ट्रेडर होते हैं जो बाजार या शेयर की दिशा पर दांव लगाने के लिए ऑप्शंस का इस्तेमाल करते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जो निवेशक बाजार में सीमित उतार-चढ़ाव पर दांव लगाना चाहते हैं, वे प्राय: स्टैडल और स्ट्रैंगल की बिकवाली नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि इसमें अधिक जोखिम और सीमित मुनाफा हासिल होने की संभावना होती है।
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