Wednesday, April 22, 2009

होम लोन रिस्ट्रक्चरिंग कितना फायदेमंद

आर्थिक मंदी ने कई लोगों को होम लोन की रिस्ट्रक्चरिंग कराने और कम ब्याज दर पर कर्ज दे रहे दूसरे बैंकों की शरण में जाने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन कोई फैसला करने से पहले तमाम पहलुओं पर गौर करना जरूरी है।

मौजूदा आर्थिक हालात ने कुछ ऐसी शक्ल अख्तियार कर ली है कि बड़ी संख्या में लोगों को होम लोन रिस्ट्रक्चर कराने की कोशिश के लिए मजबूर होना पड़ा है। एक ओर रोजगार बाजार में उठापटक चल रही है, वित्तीय संकट गहराता जा रहा है तो दूसरी ओर इसे देखते हुए बैंकों की ओर से ब्याज दरों के मोर्चे पर कुछ राहत का इंतजाम किया गया है, लिहाजा अगर कर्ज चुकाने में दिक्कत हो तो होम लोन की रिस्ट्रक्चरिंग कराने पर विचार किया जा सकता है। वैश्विक रियल एस्टेट कंसल्टेंसी एजेंसी जोंस लैंग लसाल मेघराज (जेएलएलएम) के मुताबिक होम लोन का ढांचा बदलवाने वाले कर्जदारों की तादाद बीते छह महीने में 35-40 फीसदी बढ़ी है। जेएलएलएम के मुताबिक सरकारी बैंकों के एक साल की अवधि के लिए अत्यधिक आकर्षक ब्याज दरें मुहैया कराने के बाद ऐसे आवेदनों में तेज बढ़ोतरी हुई है।
इस बात के कई कारण हो सकते हैं कि आप अपने होम लोन पोर्टफोलियो में बदलाव क्यों करना चाहते हैं। अन्स्र्ट एंड यंग में पार्टनर-रियल एस्टेट प्रैक्टिस राजीव साहनी ने इसकी कुछ महत्वपूर्ण वजहों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा, 'बैंक ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कम ब्याज दर पर लोन दे रहे हैं जिससे अपना लोन दूसरे बैंक के पास ले जाने और ईएमआई या लोन की अवधि घटाने का मौका मिलता है। इसके अलावा ईएमआई घटाने के लिए कर्जदार लोन की बकाया अवधि बढ़ाने का आग्रह भी कर रहे हैं। ये सभी कदम हर महीने जेब पर पडऩे वाला दबाव कम करने के लिए उठाए जा रहे हैं। हालांकि साहनी को लगता है कि शुरुआत में बेहतर दरों पर लोन मुहैया करा रहे बैंकों के पास जाने को लेकर उत्साह बनाया जा रहा था लेकिन ग्राहकों को अब इस बात का अहसास हो रहा है कि मौजूदा बैंकों से भी बेहतर सौदे हासिल करना संभव है और यह विकल्प सस्ता तथा अवरोधहीन है।
अब सवाल यह उठता है कि होम लोन को दोबारा एडजस्ट कराने के क्या तरीके हैं? साहनी के मुताबिक होम लोन के ढांचे में बदलाव के अहम आधार आंशिक पूर्व भुगतान, अवधि में बदलाव और ब्याज दरों में परिवर्तन हैं। उनका कहना है कि लोन का ईएमआई अंश कर्ज के आंशिक पूर्व भुगतान या लोन की अवधि बढ़ाकर घटाया जा सकता है। मसलन 10.75 फीसदी की ब्याज दर पर 30 लाख रुपए के लोन के लिए मासिक किस्त 15 साल के लिए 33,000 रुपए बनेगी जबकि 20 साल की अवधि के लिए 30,200 रुपए होगी।
पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस के लिए प्रबंध निदेशक वी के सूद ने बताया कि ऐसे मौजूदा ग्राहकों की संख्या ज्यादा नहीं है जो लोन की अवधि में बदलाव को लेकर हमारे पास रहे हैं और नए ग्राहकों की तादाद भी काफी कम ही है। उन्होंने कहा, 'ऐसे मौजूदा ग्राहकों की संख्या अधिक नहीं है जो हमारे पास लोन की रिस्ट्रक्चरिंग के लिए आए हैं। अगर वे लोन की अवधि बढ़ाना चाहते हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज दर के हिसाब से भुगतना करना होगा। जहां तक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से बैंक की ओर रुख करने का सवाल है तो कुछ ग्राहक ऐसे हैं जो ब्याज में फर्क की वजह से ऐसा कर रहे हैं और यह अंतर आधा से 1 फीसदी हो सकता है।Ó
एचडीएफसी जैसे निजी बैंक लोन रिपेमेंट को लकर मौजूदा ग्राहकों को कुछ विकल्प मुहैया करा रहे हैं। इनसे ग्राहकों को लोन का इस तरह भुगतान करने में मदद मिलेगी जिससे उन्हें सहूलियत हो। अगर किसी ग्राहक ने 20 साल की अवधि के लिए 11.25 फीसदी की ब्याज दर पर 10 लाख रुपए कर्ज लिया है और इस लोन की अवधि अभी 19 साल बची है। अगर यह माना जाए कि ग्राहक अब लोन की अवधि और ब्याज की देनदारी घटाना चाहता है तो कुछ विकल्प उपलब्ध हैं। ईएमआई बढ़ाने को लेकर ग्राहक के पास हर साल मासिक किस्त की रकम में इजाफा करने का विकल्प होता है। मसलन, अगर किसी ग्राहक की लोन की शेष अवधि 19 साल है और और वह हर साल मासिक किस्त मान लीजिए 7 फीसदी बढ़ाता है तो वह 19 वर्ष के बजाय लगभग 11 साल में लोन की सारी रकम चुका देगा लेकिन इसके लिए लोन की मियाद में ब्याज दर समान स्तर पर रहनी चाहिए। इसके अलावा एकमुश्त रकम के भुगतान का विकल्प भी है जिसमें ग्राहक हर साल 50,000 रुपए अदा कर सकता है। आप दोनों विकल्पों के संयोजन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। आंशिक रूप से अवधि बढ़ाने और आंशिक रूप से मासिक किस्त बढ़ाने के अलावा एकमुश्त राशि का भुगतान भी किया जा सकता है।
ऐसे भी मामने सामने आए हैं जिनमें ग्राहक वित्तीय संस्थान ही बदलना चाहता है। लेकिन जानकार ऐसा करते वक्त सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं। जेएलएलएम में एसोसिएट डायरेक्टर-होमबे रेजिडेंशियल मृणाल दुग्गल का कहना है कि ब्याज दर को संभालने की क्षमता ग्राहकों के लिए संस्थान बदलते वक्त एक अहम पैमाना हो सकती है लेकिन इस बात पर गौर जरूर किया जाना चाहिए कि दो संस्थानों के बीच होम लोन स्विच कराने की प्रक्रिया थकाऊ और महंगी है।
साहनी भी इस बात से इत्तफाक रखते हैं। उन्होंने कहा, 'लोन शिफ्ट कराने से पहले प्री-क्लोजर पेनल्टी और नए बैंक के प्रोसेसिंग शुल्कों पर विचार करने के बाद आपको खर्च के मोर्चे पर मिलने वाला फायदा स्पष्टï कर लेना चाहिए। इसके अलावा कर्जदार को सबसे पहले मौजूदा संस्था के साथ ही कम ब्याज दर या लोन की अवधि बढ़ाने पर बातचीत करनी चाहिए। बैंक बढिय़ा ट्रैक रिकॉर्ड रखने वाले ग्राहकों को खोने के बजाय वाजिब शुल्क वसूलना बेहतर समझते हैं।Ó
होम लोन की रिस्ट्रक्चरिंग का सबसे बड़ा उद्देश्य मासिक किस्त का दबाव कम करना होता है लेकिन यह सलाह दी जाती है कि अपने होम लोन में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले खर्च के अंतर की स्पष्टï जानकारी जुटा लीजिए। कम ब्याज दर मुहैया कराने वाले बैंक के पास तुरंत लोन शिफ्ट कराना आकर्षक प्रतीत हो सकता है लेकिन बढिय़ा फैसला करने से पहले उसके तमाम पहलुओं पर गौर करना आवश्यक होता है।

पैसा बोलता है
- रोजगार बाजार में उठापटक, वित्तीय संकट और कम ब्याज दरों के लालच ने कर्जदारों को होम लोन की रिस्ट्रक्चरिंग के बारे में सोचने पर मजबूर किया
- बीते छह महीने में ऐसे कर्जदारों की तादाद 35-40 फीसदी बढ़ी है
- ये आंशिक पूर्व भुगतान, अवधि में बदलाव और ब्याज दरों में परिवर्तन चाहते हैं
- लोन शिफ्ट कराने से पहले तमाम पहलुओं पर नजर डाल लें क्योंकि प्री क्लोजर पेनल्टी और नए बैंक की प्रोसेसिंग फीस आपकी योजना बिगाड़ सकती है

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