सीमेंट कंपनियों ने की शानदार वापसी, लंबे वक्त के दांव का मौका
सरकार की मदद से चल रहे प्रोजेक्ट की वजह से तीनों बड़ी सीमेंट कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा
सीमेंट कंपनियां एसीसी, अंबुजा सीमेंट और अल्ट्राटेक का जनवरी-मार्च 2009 तिमाही में कारोबारी प्रदर्शन बेहतर रहा है। कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में कंस्ट्रक्शन कामकाज पर आर्थिक रफ्तार में सुस्ती का असर नहीं पड़ा है। इन इलाकों में सीमेंट की अच्छी मांग बरकरार है। सरकार की आर्थिक मदद से चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से भी सीमेंट कंपनियों की बिक्री में जान आई है। इससे इस सेक्टर के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद बन गई है। सीमेंट सेक्टर के बेहतरीन प्रदर्शन को भारतीय अर्थव्यवस्था की वापसी के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है।
कोयले जैसे कच्चे माल की लागत बढऩे से कई सीमेंट कंपनियों के कामकाजी मुनाफे पर असर पड़ा था। अब ये कंपनियां सीमेंट की कीमतें बढ़ाकर मुनाफा बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। पिछली तिमाही में एसीसी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 4.90 फीसदी का सुधार हुआ है। इसमें सीमेंट की बढ़ी कीमतों ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। जनवरी-मार्च 2009 तिमाही में एसीसी का सीमेंट पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले 7.3 फीसदी महंगा हुआ है। मार्च तिमाही में एसीसी की बिक्री में 6.1 फीसदी का उछाल आया है। जनवरी-मार्च 2009 कंपनी की पहली तिमाही है। इस तिमाही में एसीसी की बिक्री 14 फीसदी बढ़कर 2081.7 करोड़ रुपए की हो गई। पिछली चार तिमाहियों के मुकाबले कंपनी का मार्च 2009 तिमाही में प्रदर्शन बेहतर रहा।
मार्च तिमाही में एसीसी के एक टन सीमेंट उत्पादन पर बिजली और कोयले की लागत में 13 फीसदी का इजाफा हुआ। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले का हाजिर भाव कम होने के बावजूद घरेलू बाजार में इसकी कीमतें कम नहीं हुईं। इसके बावजूद एसीसी को दूसरे कामकाजी खर्चों पर काबू पाने में कामयाबी मिली है।
अंबुजा और अल्ट्राटेक को मार्च तिमाही में मांग सुधरने का बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिला। ये दोनों अभी भी ऊंची लागत से निपटने की कोशिश कर रही हैं। अल्ट्राटेक के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में मार्च 2009 तिमाही में मार्च 2008 तिमाही के मुकाबले 2.30 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, इस दौरान कंपनी की बिक्री में 15.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। प्रति टन के लिहाज से देखें तो अल्ट्राटेक के मार्केटिंग और डीलर से जुड़े खर्च 21 फीसदी बढ़े हैं। यह बात और है कि पिछले साल की मार्च तिमाही के मुकाबले इस साल की मार्च तिमाही में कंपनी का सीमेंट 7.8 फीसदी महंगा हुआ है। कामकाजी खर्च बढऩे से भले ही कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में सुधार नजर नहीं आ रहा, इसके बावजूद मार्च तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन पिछली चार तिमाहियों से बेहतर रहा।
इसी तरह से साल की पहली तिमाही में अंबुजा सीमेंट की बिक्री में साल दर साल आधार पर 12 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह पिछली चार तिमाहियों से ज्यादा है। हालांकि, अल्ट्राटेक की तरह ही अंबुजा के प्रदर्शन पर भी बिजली और कोयले की बढ़ी लागत ने असर डाला है। मार्च तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन करीब 2.20 फीसदी कम हो गया है।
कैसा रहेगा भविष्य
पिछले कुछ समय में सरकार ने आर्थिक रफ्तार को बढ़ाने के लिए कई पैकेज का एलान किया है। हाल ही में आरबीआई ने भी घरों की बिक्री बढ़ाने के लिए पॉलिसी दरों में अहम बदलाव किए हैं। इनसे आगे चलकर सीमेंट की मांग में तेजी बनी रहने की उम्मीद की जा रही है। वित्त वर्ष 2010 में सीमेंट इंडस्ट्री की क्षमता में तीन करोड़ टन का इजाफा हो सकता है। कई ब्रोकरेज हाउसों का कहना है कि मौजूदा कारोबारी साल में सीमेंट की मांग 6 फीसदी बढ़ेगी। इससे सीमेंट इंडस्ट्री की उत्पादन क्षमता के पिछले कारोबारी साल के 88 फीसदी से गिरकर 85-86 फीसदी होने की आशंका है। हालांकि, इससे सीमेंट की कीमतों पर बहुत असर नहीं पड़ेगा।
वैल्यूएशन
679.3 रुपए के भाव पर एसीसी का पी/ई 10.2 है। वहीं अंबुजा सीमेंट का एक शेयर 80.85 रुपए का है और उसका पी/ई 10.5 है। इन दोनों शेयरों पर नजरिया न्यूट्रल है। हालांकि, 566 रुपए के भाव पर अल्ट्राटेक का पी/ई 7.2 है। लंबे समय के निवेशकों के लिए यह अच्छा दांव हो सकता है।
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