अगर आपने ·भी आईसीयू के बाहर खड़े होकर इंतजार किया है तो आप उस राहत से वाकिफ होंगे, जो डॉक्टर के यह कहने पर महसूस होती है ·कि गंभीर रूप से जख्मी या बीमार मरीज की हालत में सुधार हो रहा है। यह आश्वासन आपको चारों ओर पसरे अंधेरे के बीच उम्मीद की किरण लगती है जिसकी तलाश आपको शिद्दत से थी। आप डॉक्टर से आगे सवाल करते हैं ·कि मरीज की हालत में सुधार के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है। अनिश्चितता की ऐसी स्थिति में डॉक्टर का यह कहना है कि 'सब ठीक हो जाएगा, चिंता मत कीजिये खासी अहमियत रखता है जिसे आम हालात में समझा ही नहीं जा स·ता। अगर आप इसकी तुलना शेयर बाजार से करें तो आप देखेंगे कि गिल्ट फंड और इनकम फंड जैसे आश्वस्त रिटर्न उत्पादों की मांग बीते कुछ महीने में किस रफ्तार से बढ़ी है। लेकिन एसेट की इन श्रेणियों में भी विशेषज्ञों का मानना है कि इनकम फंड निवेशकों को गिल्ट फंड के मुकाबले ज्यादा फायदा देता है। हालांकि ज्यादातर एसेट मैनेजमेंट कंपनियां गिल्ट फंड को सर्वश्रेष्ठ विकल्प की श्रेणी में रखती हैं। आखिर क्यों निवेशकों को गिल्ट फंड से ज्यादा तरजीह इनकम फंड को देनी चाहिए
दोनों के बीच सामान्य अंतर इस मामले का ब्योरेवार आकलन करने से पहले आपको यह जानने की जरूरत है कि इनकम फंड और गिल्ट फंड के काम करने के बीच बुनियादी अंतर कौन से हैं। गिल्ट फंड वह होता है, जो ज्यादातर सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करता है। जैसे केंद्र सरकार की प्रतिभूति, राज्य सरकार की प्रतिभूति और टे्रजरी बिल। सरकारी प्रतिभूतियों से जुड़ी यील्ड फिलहाल 6 फीसदी से नीचे मंडरा रही है। इनकम फंड बॉन्ड, डिबेंचर और सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट जैसी सरकारी और कॉरपोरेट प्रतिभूतियों, दोनों में निवेश करता है। सरकारी प्रतिभूतियां जहां फंड को सुरक्षा मुहैया कराती हैं वहीं कॉरपोरेट प्रतिभूतियों की यील्ड तुलनात्मक रूप से फिलहाल ज्यादा है। महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदेश किरकिरे ने कहा, 'इसके अलावा क्योंकि इनकम फंड गिल्ट और कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करता है, इसलिए वह दोनों एसेट श्रेणियों के डायवर्सिफिकेशन का फायदा भी मुहैया कराता है।
इनकम फंड और गिल्ट फंड के बीच अंतर मौजूदा हालात में कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो गए हैं। फ्रैंकलिन टेम्पलटन इनवेस्टमेंट्स के सीआईओ (फिक्स्ड इन·म) संतोष कामत कहते हैं , 'मौद्रिक उपायों के मोर्चे पर आक्रामक रूप से उदारता बरतने और मुद्रास्फीति दर में गिरावट से गिल्ट की यील्ड में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इसे अलावा दरों में हुई कटौती और अब तक सिस्टम में डाली गई नकदी की स्थिति को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि आगे इसकी रफ्तार धीमी रखी जाएगी। ब्याज दरों में कमी और भी अहमियत रखती है क्योंकि ब्याज दरों का बॉन्ड की कीमतों के साथ उल्टा रिश्ता माना जाता है। जैसे ब्याज दरों में नरमी आनी शुरू हुई, बॉन्ड की यील्ड तो घटी लेकिन उसकी कीमत में बढ़त हुई। जब बॉन्ड के दाम बढ़ते हैं तो इसका अक्स इनकम फंड की नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) में बढ़त के तौर पर दिखता है। वैल्यू रिसर्च के चीफ एग्जिक्यूटिव धीरेंद्र कुमार का कहना है, 'इस बीच अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव गिल्ट फंड की ओर से मिलने वाले रिटर्न में सेंध लगा सकता है। प्रदर्शन के मोर्चे पर गिल्ट फंड ने बीते छह महीने के दौरान इनकम फंड की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले छह महीने में शीर्ष पांच गिल्ट फंड की ओर से मिला औसत रिटर्न 30 फीसदी रहा है जबकि शीर्ष पांच इनकम फंड ने 19 फीसदी औसत मुनाफा दिया। हालांकि इन श्रेणियों के बीच रिटर्न को लेकर जो अंतर दिखाई देता है, वह तेजी से घटा है। बीते एक सप्ताह में इनकम फंड ने गिल्ट फंडों को पीछे छोड़ दिया है।
आपके लिए गिल्ट फंड और इनकम फंड के बीच से किसे चुना जाए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के निवेशक हैं। गिल्ट फंड के साथ कोई क्रेडिट जोखिम नहीं जुड़ा होता इसलिए परंपरागत और कम जोखिम चाहने वाले निवेशकों के लिए यह बेहतर समझे जाते हैं। कामत ने कहा, 'जो ब्याज दर से जुड़ा जोखिम ले सकते हैं उन्हें इनकम फंड पर गौर करना चाहिए और उनके निवेश की अवधि एक से दो साल के बीच हो सकती है। इसका यह मतलब हुआ कि निवेशक को लंबी अवधि के बजाए फिलहाल छोटी अवधि के इनकम फंड में पैसा लगाने पर विचार करना चाहिए।
इनकम फंड चुनने के लिए कुछ चीजों को दिमाग में रखना चाहिए। फंड के पोर्टफोलियो और उन सर्टिफिकेट की रेटिंग पर ध्यान देना काफी महत्वपूर्ण है जिसके आधार पर फंड मैनेजर पैसा लगा रहा है। इस मामले में बॉन्ड जारी करने वाले पक्ष की विश्वसनीयता भी काफी अहमियत रखती है। साथ ही हाल के उन बदलावों पर भी नजर रखें जो फंड में हुए हैं। आप फंड मैनेजर और जोखिम की किस्म को लेकर भी स्पष्ट होने चाहिए। उस फंड मैनेजर के फंड के प्रदर्शन भी जांचिए। फंड के प्रदर्शन से जुड़ा ट्रैक रिकॉर्ड आपकी उम्मीदों से मेल खाना चाहिए। फंड अच्छे वक्त में बढिय़ा प्रदर्शन करते हैं लेकिन मुश्किल समय में बढिय़ा प्रदर्शन जारी नहीं रख पाते। इसलिए ऐसा फंड चुनने की कोशिश कीजिए जो अच्छे और बुरे, दोनों तरह के हालात में निरंतर अच्छा प्रदर्शन करे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment